नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों का बड़ा कर्ज नहीं लौटाने वाले कर्जदारों की लिस्ट सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे में सौंप दी है। केंद्रीय बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से उन नामों का खुलासा नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि खुलासा करने से कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और यह कारोबार के विफल होने का कारण भी बन सकता है।
RBI ने सूची के साथ दाखिल हलफनामे में कहा है कि विभिन्न कारणों से ऋण लौटाने में चुक हुई है, उन खातों का ब्योरा सार्वजनिक करने से कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और यह कारोबार को फिर से मजबूत करने के बजाये उनकी विफलता का कारण बन सकता है। केंद्रीय बैंक ने कहा, डिफॉल्टर्स के नामों के खुलासे से उन कर्मचारियों की रोजी-रोटी प्रभावित हो सकती है, जो ऐसी कंपनियों में कार्यरत हैं।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनपीए में वृद्धि को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए पिछले महीने आरबीआई को निर्देश दिया था कि वह उन कंपनियों की सूची उपलब्ध कराए, जिन्होंने 500 करोड़ रुपए से अधिक का बैंक लोन नहीं लौटाया है। रिजर्व बैंक ने अपने हलफनामे में ऋण लौटाने में चूक के कई कारण बताए हैं। इसमें सरकार तथा नियामकीय एजेंसियों द्वारा मंजूरी में देरी, जमीन अधिग्रहण में देरी, कर्ज मंजूरी में विलंब, खराब निगरानी व्यवस्था, व्यापार प्रबंधन ज्ञान का अभाव, जिंसों के बाजार में गिरावट तथा परियोजनाओं के क्रियान्वयन में कमजोरी आदि शामिल है।
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