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भारत को कार्ड से भुगतान करने वाला समाज बनाने का है RBI का सपना

रिजर्व बैंक ने सोमवार को क्रेडिट पॉलिसी की तिमाही समीक्षा के बाद कहा कि वह जल्द विजन या योजना 2018 दस्तावेज लेकर आएगा।

VISION 2018: भारत को कार्ड से भुगतान करने वाला समाज बनाने का है RBI का सपना- India TV Paisa VISION 2018: भारत को कार्ड से भुगतान करने वाला समाज बनाने का है RBI का सपना

मुंबई। रिजर्व बैंक ने सोमवार को क्रेडिट पॉलिसी की तिमाही समीक्षा के बाद कहा कि वह जल्द विजन या योजना 2018 दस्तावेज लेकर आएगा। इसमें भारतीय समाज को भुगतान के लिए नकदी का इस्तेमाल करने की जगह डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल करने वाला समाज बनाने का सपना होगा। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2016-17 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है कि रिजर्व बैंक अप्रैल, 2016 के अंत तक देश में भुगतान और निपटान प्रणाली के लिए विजन 2018 प्रकाशित करेगा।

इसके पीछे उद्देश्य नियमनों को प्रौद्योगिकी विकास और भुगतान क्षेत्र में नवोन्मेषण के प्रति अधिक प्रतिक्रिया देने वाला बनाना है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसमें भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों की निगरानी बढ़ाने, ग्राहकों की शिकायतों के निपटान की प्रणाली में सुधार और भुगतान ढांचे में सुधार से मदद मिलेगी। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों को मदद के लिए रिजर्व बैंक सितंबर, 2016 तक क्रेडिट काउंसेलर्स को मान्यता के लिए रूपरेखा पेश करेगा। नई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए इस तरह की इकाइयों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल और तर्कसंगत बनाने का फैसला किया गया है।

एनपीए की जांच अपराध साबित करने के लिए हो  

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ऋण चूक (डिफॉल्‍ट) में जांच अपराध साबित करने के लिए हो। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में बिना सोचे समझे लोगों पर निशाना साधने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा है कि इससे बैंक से ऋण सहायता और अर्थव्यवस्था दोनों ठंडे पड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के सभी मामलों में उन्हें उन हालात पर विचार करना चाहिए जिनके तहत किसी कंपनी को कर्ज दिया गया- क्या उस समय दी गई जानकारी के हिसाब से उनकी भावना सही थी। गवर्नर ने कहा, वित्त मंत्री व मैं, दोनों ही कह चुके हैं कि हम गलतियों व हो सकने वाली आपराधिक गतिविधियों को पकड़ने के लिए जांच करें लेकिन यह उस समय के फैसलों के आधार पर की जाए न कि आज की सोच व जानकारी के हिसाब से।

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