एक और बैंक हुआ बंद, RBI ने उस्मानाबाद के वसंतदादा नगरी सहकारी बैंक का लाइसेंस किया रद्द
रिजर्व बैंक ने कहा कि परिसमापन के बाद जमा बीमा एवं कर्ज गारंटी निगम से जमाकर्ता पांच लाख रुपये तक का जमा पाने के पात्र होंगे।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को कहा कि उसने महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में स्थित वसंतदादा नगरी सहकारी बैंक (Vasantdada Nagari Sahakari Bank, Osmanabad) का लाइसेंस रद्द कर दिया है। आरबीआई ने कहा कि बैंक अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के हिसाब से अभी के जमाकर्ताओं का पूरा पैसा वापस नहीं कर पाएगा। इस कारण उसका लाइसेंस रद्द किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही वसंतदादा नगरी सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।
रिजर्व बैंक ने कहा कि परिसमापन के बाद जमा बीमा एवं कर्ज गारंटी निगम से जमाकर्ता पांच लाख रुपये तक का जमा पाने के पात्र होंगे। इस तरह सहकारी बैंक के 99 प्रतिशत से अधिक जमाकर्ताओं को पूरी रकम वापस मिल जाएगी। सहकारी बैंक का लाइसेंस सोमवार को कारोबार समाप्त होने के बाद से रद्द माना जाएगा। इसके बाद सहकारी बैंक परिचालन नहीं कर सकेगा।
23 दिसंबर को हुआ था सुभद्रा लोकल एरिया बैंक का लाइसेंस रद्द
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने 23 दिसंबर को कोल्हापुर के सुभद्रा लोकल एरिया बैंक का लाइसेंस रद्द किया था। तब केंद्रीय बैंक ने दलील दी थी कि बैंक जिस तरीके से काम कर रहा था, उससे मौजूदा और भविष्य के जमाकर्ताओं के हितों को नुकसान पहुंच सकता था। सुभद्रा लोक एरिया बैंक के पास जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने के लिये पर्याप्त नकदी है।
अरबीआई ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि जिस तरीके से बैंक काम कर रहा था, अगर उसे उसी तरीके से परिचालन की अनुमति दी जाती तो जन हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। प्रबंधन की काम करने की प्रकृति वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं के हितों को नुकसकान पहुंचाने वाली थी। बयान में कहा गया है कि सुभद्रा लोकल एरिया बेंक को दिया गया लाइसेंस 24 दिसंबर को बैंक कारोबार बंद होने के बाद से रद्द किया जा रहा है। इससे वह कोई भी बैंकिंग गतिविधियां नहीं कर पाएगा। आरबीआई बैंक के परिसमापन के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन देगा।
रिजर्व बैंक ने सरकार के ऊंचे कर्ज पर जताई चिंता
रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी के कारण बढ़ी सरकारी उधारी ने इसकी निरंतरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इससे निजी क्षेत्र के लिए संसाधनों की कमी हो जाने की आशंका है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि राजस्व में कमी के बीच अधिक उधारी ने बैंकों पर अतिरिक्त दबाव भी डाला है, जो महामारी की वजह से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में वृद्धि जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि सरकारी राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव और इसके चलते आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए संप्रभु उधारी बढ़ रही है। यह अब ऐसे स्तर पर पहुंच गया है, जो इस बात की चिंता पैदा करने लगा है कि वित्तपोषण की मात्रा और लागत दोनों संदर्भों में निजी क्षेत्र इससे बाहर न हो जाए।
रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि एक अंतराल के बाद बैंकों की बैलेंस शीट पर दबाव दिखने लगेगा। उसने कहा कि कॉरपोरेट वित्त पोषण को नीतिगत उपायों और महामारी के चलते किस्तों के भुगतान से दी गई छूट के माध्यम से सहारा दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि दबाव एक अंतराल के बाद दिखने लगेगा। इसका बैंकिंग क्षेत्र पर प्रतिकूल असर होगा, क्योंकि कॉरपोरेट व बैंकिंग क्षेत्र की समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं।
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