RBI ने रद्द किया यूनाइटेड को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस, पर्याप्त पूंजी का था अभाव
बैंक द्वारा दिए गए आंकड़े के मुताबिक सभी जमाकर्ताओं को डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) से उनकी जमाराशि का पूरा पैसा वापस किया जाएगा।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के बगनान स्थित यूनाइटेड को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द कर दिया। इस बैंक के पास कारोबार के लिए पर्याप्त पूंजी न होने और आय की संभावनाएं न दिखने के कारण केंद्रीय बैंक को यह कार्रवाई करनी पड़ी। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि इसके साथ ही बैंक 13 मई, 2021 को कार्यालय बंद होने के तत्काल बाद से बैंकिंग कारोबार करना बंद कर देगा।
बयान में कहा गया कि बैंक द्वारा दिए गए आंकड़े के मुताबिक सभी जमाकर्ताओं को डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) से उनकी जमाराशि का पूरा पैसा वापस किया जाएगा। डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत जमाकर्ता पांच लाख रुपए तक की जमा के लिए दावा कर सकते हैं। रिजर्व बैंक ने साथ ही बताया कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। साथ ही बैंक अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति में अपने मौजूदा जमाकर्ताओं को उनके पूरे पैसों का भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा।
आरबीआई ने कहा, 35,000 करोड़ रूपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद 20 मई
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप 1. 0) के तहत 20 मई, 2021 को दूसरी किस्त के तहत 35,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार से खरीद की जाएगी। बांड प्रतिफल को स्थिर और व्यवस्थित रखने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया जा रहा है। पिछले महीने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आरबीआई जी-सैप 1.0 के तहत वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में एक लाख करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार से खरीद गतिविधियां आयोजित करेगा। इस प्रकार की 25,000 करोड़ रुपये की पहली नीलामी 15 अप्रैल को हुई थी।
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘‘वह सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप 1.0) के तहत 20 मई, 2021 को ₹35,000 करोड़ की सरकारी प्रतिभूतियों की खुले बाजार में खरीद की दूसरी श्रृंखला आयोजित करेगा।’’ दास ने उस समय कहा था कि इस कार्यक्रम के तहत आरबीआई संतोषजनक नकदी स्थिति के बीच स्थिर और व्यवस्थित बांड प्रतिफल के लिये सरकारी प्रतिभूतियों के खुले बाजार में खरीदारी को लेकर एक विशिष्ट राशि के लिए प्रतिबद्ध होगा। जी-सैप गतिविधियां आरबीआई की नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ), खुले बाजार की गतिविधियां (ओएमओ) और कर्ज की लागत कम रखने के लिये बांड की खरीद-बिक्री जैसी सामान्य गतिविधियों के साथ चलेगी।