LockDown के बीच 10 सरकारी बैंकों के विलय की RBI ने दी मंजूरी, बदल जाएंगे नाम
कोरोना वायरस की वजह से 14 अप्रैल तक पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में 10 बड़े सरकारी बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी।
नयी दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से 14 अप्रैल तक पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश में 10 बड़े सरकारी बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी। इसके तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में किया जाएगा। सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में किया जाएगा। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया जाएगा। और इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में किया जाएगा। आगामी 1 अप्रैल 2020 को इन सभी बैंकों का विलय कर दिया जाएगा। विलय से जुड़ी जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का काम आगे बढ़ाते हुए आरबीआई ने कहा है कि एक अप्रैल 2020 से इलाहाबाद बैंक की सभी शाखायें इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी। वहीं इसी दिन से आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक की सभी शाखायें यूनियन बैंक आफ इंडिया की शाखाओं में परिवर्तित हो जायेंगी। रिजर्व बैंक की शनिवार को इस संबंध में जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।
रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इलाहाबाद बैंक की सभी शाखायें एक अप्रैल 2020 से इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी। वहीं इलाहाबाद बैंक के खाताधारक और जमाकर्ता सभी एक अप्रैल 2020 से इंडियन बैंक के ग्राहक के तौर पर माने जायेंगे। केन्द्रीय बैंक की शनिवार को ही जारी एक अन्य विज्ञप्ति में कहा गया है कि आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक की सभी शाखायें 1 अप्रैल 2020 से यूनियन बैंक आफ इंडिया के शाखा के तौर पर काम करेंगी।
इसी प्रकार आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक के ग्राहक, खाताधारक और जमाकर्ता सभी यूनियन बैंक आफ इंडिया के ग्राहक के तौर पर माने जायेंगे। केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को आपस में विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया था। सरकार ने देश में विश्वस्तरीय बड़े बैंक बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का कदम उठाया है। इसी के तहत लिये गये निर्णय के बाद इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कार्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक आफ इंडिया में किया गया।
ग्राहकों को हो सकती है थोड़ी परेशानी
वहीं बैंकों के विलय के बाद बैंक ग्राहकों को भी थोड़ी परेशानी हो सकती है। कुछ बैंकों की ब्रांच बंद हो सकती है. वहीं ग्राहकों की कस्टमर आईडी अगर विलय में शामिल दो बैंकों में एक साथ है तो एक आईडी बंद हो सकती है। नए चेकबुक भी जारी कराने होंगे।
विलय के बाद बड़े आकार के 7 सरकारी बैंक होंगे
बता दें कि इस विलय प्रक्रिया के बाद तीन साल में सरकारी बैंक 27 से 12 हो जाएंगे। विलय के बाद देश में सात बड़े आकार के सरकारी बैंक और छोटे आकार के सरकारीर बैंक होंगे। वर्ष 2017 में 27 सरकारी बैंक थे। विलय के बाद बनने वाले सात बड़े सरकारी बैंकों में से सभी राष्ट्रीय स्तर के बैंक होंगे। विलय के बाद बनने वाले नए बैंकों में से हर एक का कारोबार 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा। विलय को लेकर सरकार ने वजह बताई है कि इससे बैंकों के रिस्क लेने की क्षमता में इजाफा होगा, इसके साथ ही एनपीए कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी।
पंजाब नेशनल बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा
विलय के बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा। इसका कारोबार 17.94 लाख करोड़ रुपए का होगा। एसबीआई का कारोबार अभी 52 लाख करोड़ रुपए का है। बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक हो जाएगा। इसके बाद क्रमश: केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक का स्थान होगा। देश के अन्य सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिध बैंक शामिल हैं।