मुंबई। रिजर्व बैंक ने सोमवार को अपने ग्राहक को पहचानिये (केवाईसी) के संदर्भ में जारी मास्टर निर्देशों में संशोधन किया। यह संशोधन ग्राहकों की वीडियो आधारित पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) का अधिक लाभ उठाने तथा केवाईसी को समय समय पर अद्यतन किये जाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये किया गया। वी-सीआईपी बैंक ग्राहक की पहचान करने का एक वैकल्पिक तरीका है जिसमें ग्राहक के चेहरे को देखकर पहचान की जाती है। इसके तहत रिजर्व बैंक नियमन के तहत आने वाली इकाई का प्राधिकृत अधिकारी ग्राहक की जांच - परख करता है। इसके तहत ग्राहक के साथ श्रव्य-दृश्य बातचीत के आधार पर बिना किसी अड़चन के, सुरक्षित, जीवंत और सहमति के बाद पहचान के बारे में जानकारी जुटाई जाती है।
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रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसके नियमन के तहत आनी वाली कंपनी व्यक्तिगत नये ग्राहक, प्रापरेएटरशिप फर्म के मामले में उसके मालिक, कानूनी इकाई के मामले में उसके प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और लाभार्थी मालिक ग्राहक की जांच परख के लिये वी- सीआईपी प्रक्रिया को अपना सकते हैं।
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रिजर्व बैंक नियमन वाली इकाइयों में बैंक, एनबीएफसी और भुगतान प्रणाली परिचालक शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि ये इकाइयां बिना चेहरे के खोले गये खातों को चेहरे वाले में बदलने के लिये भी वी- सीआईपी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिये वह आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी सत्यापन और पात्र ग्राहकों के लिये केवाईसी का सावधिकअद्यतन करने के लिये कर सकते हैं।
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