मुंबई। डॉलर के मुकाबले रुपए के नए निचले स्तर पर पहुंच जाने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को तेल विपणन कंपनियों को उनकी दैनिक कामकाजी जरूरतों के लिए विदेशों से सीधे विदेशी मुद्रा उधार लेने की अनुमति दे दी है। यह व्यवस्था तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है।
केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों पर लागू 75 करोड़ डॉलर की सीमा को भी समाप्त कर दिया है। इन कंपनियों के लिए अब सालाना 10 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा उधारी सीमा तय कर दी गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की सभी पेट्रोलियम कंपनियां अब कच्चे तेल का आयात करने और दूसरी जरूरतों के लिए सीधे मान्यता प्राप्त ऋणदाताओं से विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) ले सकेंगी। यह ईसीबी न्यूनतम औसतन तीन से पांच साल की परिपक्वता अवधि की होनी चाहिए। उन्हें स्वत: मंजूरी मार्ग से इसकी मंजूरी दी गई है।
उल्लेखनीय है कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों का कारोबार करने वाली कंपनियां विदेशी मुद्रा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। अब तक ये कंपनियां विदेशों से कच्चे तेल का आयात करने के लिए रिजर्व बैंक अथवा खुले बाजार से डॉलर की खरीद करती रही हैं। हाल के दिनों में कंपनियों की डॉलर जरूरतों के लिए रिजर्व बैंक में एक अलग खिड़की खोले जाने की भी चर्चा थी। वर्तमान में तेल विपणन कंपनियों को औसतन पांच साल की परिपक्वता अवधि के लिए उनके प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शेयरधारकों या फिर समूह कंपनी से ही ईसीबी लेने की अनुमति थी।
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