मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों को रीयल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रेइट) और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) में निवेश की अनुमति दे दी है। इस कदम से नकदी संकट से जूझ रहे बुनियादी ढांचा क्षेत्र को पटरी पर आने में मदद मिलेगी। बैंकों को अपने शुद्ध कोष (नएनओएफ) का 20 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी से जुड़े म्यूचुअल फंड, उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ) और शेयरों में निवेश की अनुमति मिली है।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, बैंकों को सीमा के भीतर रेइट और इनविट में निवेश की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश इस साल मई के अंत तक जारी किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रेइट और इनविट के लिए दिशानिर्देश जारी किया और रिजर्व बैंक से बैंकों को इन योजनाओं में भाग लगने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि मौद्रिक नीति समीक्षा में रेइट में निवेशक आधार का विस्तार कर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। इससे घरेलू वित्तीय बाजार व्यापक और मजबूत होगा।
एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया ने कहा कि इससे क्षेत्र को मजबूती मिलेगी जो पिछले कुछ साल से दबाव में है। कुल मिलाकर इस निर्णय से जमीन-जायदाद क्षेत्र को लाभ होगा।
बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक मेलविन रेगो का मानना है कि रेइट और इनविट में निवेश की अनुमति रीयल एस्टेट और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के साथ बैंकों के लिये भी अच्छा है।
देना बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अश्विनी कुमार ने कहा, संपत्ति पुनिर्निर्माण कंपनियों पर उपायों के साथ कुल मिलाकर नीति संतुलित है। बैंकों की रेइट और इनविट में भागीदारी से वित्तीय उद्योग में निवेश के रास्ते बढ़ेंगे।
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