नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से अचानक सायरस मिस्त्री को हटाकर खुद अंतरिम चेयरमैन की भूमिका निभाने के लिए तैयार हुए रतन टाटा ने अपनी नई जिम्मेदारी संभालने के बाद बताया है कि आखिर वो फिर से टाटा ग्रुप की ड्राइविंग सीट पर बैठने के लिए क्यों तैयार हुए हैं। कंपनी के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने समूह के कर्मचारियों को खत लिखकर कहा कि ग्रुप की स्थिरता और उसमें भरोसा बढ़ाने के लिए वह अंतरिम चेयरमैन की जिम्मेदारी निभाने को तैयार हुए हैं।
लेटर के जरिए खोला राज
- पत्र में 78 वर्षीय टाटा ने कहा कि टाटा संस के निदेशक मंडल ने सोमवार को एक बैठक में मिस्त्री को तत्काल प्रभाव से चेयरमैन पद से हटा दिया है।
- उन्होंने कहा, ‘एक नई प्रबंधकीय व्यवस्था की गई है और टाटा संस के नए चेयरमैन की पहचान करने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया है।’
इसलिए रतन बने टाटा ग्रुप के फिर से चेयरमैन
- वर्ष 2012 में 29 दिसंबर को टाटा संस के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद समूह के मानद चेयरमैन टाटा ने कहा, ‘समिति को इस काम के लिए चार महीने का समय दिया गया है।
- इस दौरान निदेशक मंडल ने मुझसे कंपनी के चेयरमैन पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा है और मैं टाटा समूह की स्थिरता एवं उसमें उसके प्रति विश्वास को बनाए रखने के लिए यह जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं।
- टाटा इससे पहले 1991 से 2012 तक कंपनी के 21 साल तक चेयरमैन रहे हैं।
सायरस मिस्त्री को हटाए जाने से टाटा ग्रुप में बड़ा टकराव
- टाटा ग्रुप के सबसे बड़े हिस्सेदार शापूरजी पालोंजी ग्रुप के प्रतिनिधि के तौर पर सायरस मिस्त्री को नवंबर, 2011 में टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन बनाया गया था।
- वह 2006 में कंपनी के बोर्ड में शामिल हुए थे।
- चेयरमैन बनने के बाद से खासी चर्चा बटोरने वाले मिस्त्री को पद से हटाए जाने की कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है।
- लेकिन कहा जा रहा है कि संभवत: टाटा संस बोर्ड उनकी नीतियों से सहमत नहीं था।
- खासतौर पर घाटे या कम मुनाफे में चल रही फर्म्स को बंद करने के फैसले से बोर्ड खुश नहीं था।
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