मुंबई। टाटा समूह के वरिष्ठ सदस्य रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री से टाटा संस के चेयरमैन पद को छोड़ने के लिए व्यक्तिगत रूप से कहा था। टाटा ने मिस्त्री से कहा था कि निदेशक मंडल उनमें भरोसा खो चुका है और उनके इसके लिए तैयार नहीं होने पर उन्हें बहुमत से हटाया गया था। मिस्त्री के परिवार से संबंधित निवेश कंपनी द्वारा उन्हें टाटा संस से हटाए जाने के खिलाफ दायर अपील पर टाटा संस ने इसका पैरा दर पैरा जवाब दिया है।
टाटा संस ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष कहा कि मिस्त्री को पिछले साल 24 अक्टूबर को पद से हटाया गया, क्योंकि उनके नेतृत्व में मामूली या कोई सुधार नहीं हुआ। नौ में से सात निदेशकों ने मिस्त्री को हटाने के पक्ष में मतदान किया। फरीदा खंबाटा मतदान में शामिल नहीं हुईं, जबकि मिस्त्री को मत के लिए पात्र नहीं माना गया क्योंकि यह उनसे जुड़ा मामला था।
टाटा संस ने 204 पृष्ठ के हलफनामे में कहा है कि 24 अक्टूबर को बोर्ड की बैठक शुरू होने से पहले रतन एन टाटा और निदेशक नितिन नोहरिया ने व्यक्तिगत रूप से मिस्त्री से बात की और उन्हें स्वैच्छिक तरीके से कार्यकारी चेयरमैन का पद छोड़ने को कहा। मिस्त्री ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
टाटा संस ने कहा है कि यह फैसला अचानक या हड़बड़ी में नहीं किया गया। मिस्त्री को कई घटनाक्रमों की श्रृंखला के बाद हटाया गया क्योंकि उनके प्रति भरोसा घटता जा रहा था।
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