Paisa quick: रतन टाटा ने बेबी केयर प्लेटफॉर्म फर्स्टक्राई में किया निवेश और भी खबरें
दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने बेबी केयर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फर्स्टक्राई में निवेश किया है। इस साल स्टार्टअप्स में किया गया यह उनका चौथा निवेश है।
नई दिल्ली। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने बेबी केयर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फर्स्टक्राई में निवेश किया है। इससे पहले वह विभिन्न स्टार्टअप्स में निवेश कर चुके हैं। कंपनी ने एक बयान में कहा कि टाटा संस के मानद चेयरमैन एवं आईडीजी वेंचर्स इंडिया के वरिष्ठ सलाहकार रतन टाटा ने अपनी निजी क्षमता में ब्रेनबीस साल्यूशंस में निवेश किया है।
ब्रेनबीस के पास फर्स्टक्राई डॉट कॉम का स्वामित्व है। वर्ष 2010 में परिचालन शुरू करने वाली फर्स्टक्राई के 20 लाख से अधिक ग्राहक हैं। इस साल रतन टाटा का यह चौथा निवेश है, इससे पहले वह कैशकरो डॉट कॉम, ट्रैक्सन टेक्नोलॉजी और डॉगस्पोट में निवेश किया था।
मिशेलिन ने भारत में स्कूटर टायर कारोबार में रखा कदम
फ्रांस की टायर कंपनी मिशेलिन ने भारत में तेजी से बढ़ रहे स्कूटर बाजार में कदम रखने की आज घोषणा की। कंपनी ने स्कूटर टायरों की मिशेलिन सिटी प्रो रेंज पेश की है। मिशेलिन के वाणिज्यिक निदेशक (दोपहिया, एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया) प्रदीप जी. थांपी ने कहा कि स्कूटर भारत में तेजी से लोकप्रिय हुआ है और चलाने में आसान एवं भीड़भाड़ में ले जाने और पार्किंग की सुविधा होने की वजह से आवागमन का पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है। टायर की नई रेंज 150 सीसी तक के स्कूटरों व मोटरसाइकिलों के लिए है।
नैटको फार्मा ने हैपेटाइटिस सी दवा बनाने, बेचने के लिए समझौता किया
नैटको फार्मा ने असाध्य हैपेटाइटिस सी के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा डैक्लाटासविर के जेनेरिक संस्करण के विनिर्माण एवं बिक्री के लिए मेडिसिन्स पेटेंट पूल (एमपीपी) और ब्रिस्टल-मेयेर्स स्कि्वब के साथ एक गैर-विशेष, रॉयल्टी मुक्त लाइसेंसिंग समझौता किया है।
कोसी बेसिन परियोजना के लिए 25 करोड़ डॉलर का ऋण देगा विश्वबैंक
भारत ने बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना के लिए विश्वबैंक के साथ 25 करोड़ डॉलर के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस परियोजना का उद्देश्य बाढ़ से राहत एवं कृषि उत्पादकता बढ़ाना है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस परियोजना के प्रमुख लाभार्थी कोसी नदी घाटी में ग्रामीण उत्पादक एवं परिवार होंगे, जिन्हें अक्सर बाढ़ का सामना करना पड़ता है। इसमें वे किसान भी शामिल हैं जिनके खेत 2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ से गाद जमा होने की वजह से बेकार हो गए। साथ ही इस परियोजना में वे किसान भी आएंगे, जिनके पास इस समय सिंचाई की सुविधा नहीं है। इस परियोजना में पांच घटक हैं- बाढ़ जोखिम प्रबंधन में सुधार, कृषि उत्पादकता बढ़ाना, संपर्क बढ़ाना, आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई और क्रियान्वयन सहयोग। इस ऋण के क्रियान्वयन की अवधि 5 साल है और बिहार सरकार क्रियान्वयन एजेंसी है।