बेंगलुरु। इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी राजीव बंसल ने आईटी कंपनी इंफोसिस के खिलाफ यहां सिविल कोर्ट में एक केविएट दायर की है। बंसल ने यह कदम आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल द्वारा कंपनी से अलग होने के एवज में उन्हें 12.17 करोड़ रुपए ब्याज सहित देने के आदेश के बाद उठाया है।
यह केविएट मंगलवार को दायर की गई। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी ने कहा कि वह ट्रिब्यूनल आदेश पर आगे की कार्रवाई के लिए कानूनी परामर्श लेगी। इसके बाद बंसल ने यह कदम उठाया है।
बंसल की कानूनी फर्म इंडस लॉ फर्म के एक प्रतिनिधि ने बताया कि यह कदम बंसल के हितों की रक्षा करने और इंफोसिस द्वारा शुरू किए जाने वाले मुकदमे या कार्यवाही में उनको सुने बिना किसी भी पूर्व-पक्ष के आदेश को रोकने के लिए उठाया गया है।
इंफोसिस ने मंगलवार को कहा था कि वह बंसल के सेवेरैंस पैकेज को लेकर मुकदमा हार गई है और ट्रिब्यूनल ने उसके उस दावे को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कंपनी ने बंसल को पूर्व में किए गए 5.2 करोड़ रुपए के भुगतान को वापस मांगा था।
बंसल ने जब 2015 में कंपनी छोड़ी थी तब प्रबंधन ने पृथक्करण पैकेज के तौर पर 17.38 करोड़ रुपए या 24 महीने की सैलरी देने का समझौता किया था। कंपनी के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति और अन्य द्वारा इतने अधिक पृथक्करण पैकेज पर सवाल उठाए जाने के बाद कंपनी ने 5 करोड़ रुपए का भुगतान करने के बाद बाकी भुगतान को रोक दिया।
इसके बाद बंसल ने इंफोसिस को आर्बिट्रेशन में घसीटा और बकाया राशि के भुगतान की मांग की। बंसल द्वारा दायर की गई केविएट 90 दिनों तक प्रभावी रहेगी और यदि इस दौरान इंफोसिस द्वारा कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया तो बंसल दोबारा एक नई केविएट दायर करेंगे।
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