रघुराम राजन को उम्मीद मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उम्मीद जतायी कि उनके उत्तराधिकारी भी मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने उम्मीद जतायी कि उनके उत्तराधिकारी भी मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे और भविष्य में इसे कम से कम स्तर पर रखने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक ने उद्योगों की नीतिगत दरों में ज्यादा कटौती करने की मांग को नहीं मानकर सही फैसला लिया। राजन ने रिजर्व बैंक गवर्नर का पद छोड़ने की घोषणा करने के दो दिन बाद यह बातें कही।
राजन ने अपने तीन साल के कार्यकाल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को दहाई अंक से एकल अंक में लाने के अभियान का बचाव किया और कर्ज में डूबे उद्योगपतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बैंक उनसे कर्ज वापसी का ऊंचा जोखिम होने की वजह से ही अधिक ब्याज वसूलते हैं। दूसरा कार्यकाल नहीं लेने की घोषणा के बाद पहली बार लोगों के बीच आयें राजन ने मौद्रिक नीति को लेकर अपने रूख को पुरजोर तरीके से जायज ठहराया। उनका कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में एक व्याख्यान में उन्होंने आगे कहा कि वृद्धि के लिये कभी भी मुद्रास्फीति के खिलाफ मुहिम को नहीं छोड़ा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगला गवर्नर तथा नई मौद्रिक नीति समिति नई व्यवस्थाओं और संस्थाओं को अपने साथ पूरी तरह जोड़ेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे लिये भविष्य में मुद्रास्फीति निम्नस्तर पर रहे। मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के लक्ष्य के उपरी स्तर के करीब है जो यह बताती है कि हम ज्यादा आक्रमक नहीं रहे और इस लिहाज से दरों में अधिक कटौती की सलाह नहीं मानकर हमने सही फैसला किया है।
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राजन ने कहा, उंची मुद्रास्फीति धनवानों, अधिक कर्ज वाले लोगों, उद्योगपतियों की मदद कर सकती है क्योंकि उनका कर्ज उनकी बिक्री आय के मुकाबले कम होता है। वहीं गरीब दैनिक मजदूर को यह प्रभावित करती है क्योंकि उनकी मजदूरी मुद्रास्फीति से जुड़ी नहीं होती है। राजन ने कहा कि वह कभी भी वृद्धि पर जोर देने के लिये मुद्रास्फीति पर नियंत्रण नहीं छोड़ेंगे। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि वास्तव में अल्पकाल में कई बार मुद्रास्फीति तथा वृद्धि के बीच किसी एक को चुनने की स्थिति होती है।
उन्होंने कहा, आम लोगों की भाषा में कहा जाए तो अगर केंद्रीय बैंक ब्याज दर में 1.0 प्रतिशत की कटौती करता है और बैंक इसका लाभ ग्राहकों को देते हैं तो मांग बढ़ेगी और कुछ समय के लिये वृद्धि भी होगी। राजन ने कहा, शेयर बाजार में कुछ दिनों के लिये तेजी आ सकती है। लेकिन आप कुछ ही समय के लिये लोगों को मूर्ख बना सकते हैं। अगर अर्थव्यवस्था पूरी क्षमता पर उत्पादन कर रही है तो फिर हमें जल्द ही माल की कमी देखने को मिलेगी और फिर मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ेगी।
कर्ज बोझ तले दबे उद्योगों की ब्याज दर में कटौती की मांग पर कड़े शब्दों में जवाब देते हुये रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों को चिंता रहती है कि उनका कर्ज वापस होगा कि नहीं, इसी जोखिम के चलते वह उंची दरों पर कर्ज देते हैं। राजन ने कहा कि उद्योगों को कम ब्याज दर के लिये कर्ज वसूली में सुधार लाने बैंकों के प्रयासों का निश्चित रूप से समर्थन करना चाहिए।
राजन ने कहा कि पिछले समय में दरों में अधिक ज्यादा कटौती के सुझाव को खारिज करने में रिजर्व बैंक ने बुद्धिमानी बरती है। उन्होंने यह भी कहा कि दशकों से उच्च मुद्रास्फीति के कारण छिपे कर के रूप में बचत करने वाले मध्यम वर्ग तथा गरीबों पर प्रभाव पड़ा जब उद्योगपति तथा सरकारें उंची मुद्रास्फीति के चलते वास्तविक तौर पर नकारात्मक ब्याज दरों का भुगतान कर रहे थे।
गवर्नर ने कहा कि उन्हें जमा दरों में कटौती को लेकर पेंशनभोगियों की शिकायत वाले कई पत्र मिले। उन्होंने कहा कि वह यह समझते हैं कि जब पेंशनभोगी यह देख रहे हैं कि उनकी ब्याज आय कम हो रही है, आखिर वे परेशान क्यों नहीं हों।