नई दिल्ली। ट्रेन से सफर करने वाले यात्री अब जल्द ही बेहतर नेट कनेक्टिविटी का आनंद उठा सकेंगे। रेलवे अपने मुख्य मार्गों को हाई स्पीड मोबाइल कम्युनिकेशन से लैस करने की तैयारी कर चुका है। इससे न केवल पटरियों की हालत के बारे में गैंगमेन, लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के बीच सीधा संपर्क स्थापित होगा बल्कि रेलवे की संपत्तियों पर समय पर निगरानी रखने में भी मदद मिलेगी। रेल अभियान को बदलने के लिए इस क्षेत्र को जरूरी मानते हुए रेलवे हाई स्पीड मोबाइल कम्युनिकेशन कॉरिडोर स्थापित कर रहा है। पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल (PPP) की मदद से इसपर 5,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वर्तमान में रेलवे इस एप्लीकेशन के संचालन के लिए वायरलेस सिस्टम का प्रयोग करता है। रेलवे ने कुछ चयनित मार्गों पर ट्रेन चालक और ट्रेन कंट्रोलर के बीच वॉयस कम्युनिकेशन के लिए जीएसएम-आर नेटवर्क लगाया था।
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रेल मंत्रालय के सिग्नल और विंग टेलीकॉम के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि,
हाई स्पीड ट्रेन कम्युनिकेशन कॉरिडोर बनाने के लिए अब हम लोग जीएसएम-आर नेटवर्क से एलटीईआर तकनीक की ओर जा रहे हैं।
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हाई स्पीड मोबाइल कॉरिडोर यात्रियों को ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने के अलावा कई तरह की सुरक्षा में भी मदद करेगा। इसके अलावा यह ट्रेन परिचालन और ट्रेन प्रबंधन प्रणाली में भी मदद करेगा। अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में ट्रेन से यात्रा करने के दौरान या स्टेशन पर यात्री बिना बाधा के इंटरनेट कनेक्टविटी चाहते हैं। यह प्रणाली यात्रियों की सभी जरूरतों को पूरा करेगा।
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