नई दिल्ली। वर्ष 2016-17 की तुलना में 2017-18 के दौरान, ऑटोमोबाइल ट्रैफिक से लोडिंग में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा ऑटोमोबाइल ट्रैफिक से आय में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले कुछ समय में भारतीय रेल ने ऑटोमोबाइल ट्रैफिक पर अपनी पकड़ बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। रेल मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय रेल द्वारा प्रस्तुत परिवहन की निम्न लागत, त्वरित सेवा, विश्वसनीयता एवं सुरक्षा व्यवस्था के कारण देश में परिवहन के सर्वाधिक पसंदीदा मोड के रूप में उभरा है।
बयान के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में लगभग 2.9 करोड़ वाहनों का उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.78 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्तमान की निम्न कार पैठ, बढ़ती समृद्धि एवं निजी वाहनों की बढ़ती वहनीयता के कारण ऑटोमोबाइल उद्योग का देश में और तेज गति से बढ़ना तय है। इन वाहनों को देश के सुदूर क्षेत्र में पहुंचाए जाने की जरूरत है।
सदस्य (ट्रैफिक) मोहम्मद जमशेद ने कहा कि वर्ष 2017-18 में भारतीय रेल के मार्केटिंग के प्रयासों में खासा बदलाव देखा गया है, जिनमें ऑटोमोबाइल ट्रैफिक को आकर्षित करने तथा फ्रेट बास्केट को बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयास शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि विशेष वैगनों में अधिक निजी निवेश को प्रोत्साहित करने, हमारी अपनी बीसीएसीबीएम (उच्च क्षमता वाले रेल वैगन) एवं एनएमजी वैगन की खरीद करने के लिए ऑटोमोबाइल फ्रेट ट्रेन ऑपरेटर (एएफटीओ) नीति को उदार बनाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2018 में हमने सभी कंटेनर टर्मिनलों से ऑटोमोबाइल की हैंडलिंग करने की अनुमति देने तथा स्टॉक के इष्टतम उपयोग के लिए विभिन्न दिशाओं में निजी स्वामित्व वाले वैगनों में ऑटोमोबाइल एवं ऑटोमोबाइल स्पेयर्स को लोड करने की अनुमति देने संबंधी दो बड़े फैसले किए हैं।
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