नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए रेलवे कन्वेंशन कमेटी ने 2015-16 में सरकार से चार फीसदी डिविडेंड दिए जाने की सिफारिश की है। इस साल अप्रैल में बनी इस कमेटी ने संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। कमेटी के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने कहा कि हमने वेतन आयोग के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2014-15 के लिए डिविडेंड की दर पांच फीसदी और 2015-16 के लिए चार फीसदी की सिफारिश की है।
2014-15 के लिए डिविडेंड की दर 4 फीसदी रखने की मांग
साल 2007-08 और 2008-09 में डिविडेंड की दर सात-सात फीसदी, 2009-10 और 2010-11 में छह-छह फीसदी, 2011-12 में यह घटकर पांच फीसदी रह गई और 2012-13 में इसे चार फीसदी रखा गया। 2013-14 में इसे बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया गया। साल 2014-15 के लिए रेल मंत्रालय ने अनुरोध किया है कि लाभांश की दर चार फीसदी रखी जाए और 2015-16 से 2019-20 तक के लिए डिविडेंड का भुगतान पूरी तरह छोड़ा जा सकता है। दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि लाभांश की दर सात फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है। बहरहाल, बीजू जनता दल के सांसद महताब ने कहा, रेलवे को डिविडेंड का भुगतान करना चाहिए। यह कम या ज्यादा हो सकता है। लेकिन लाभांश छोड़ना समझदारी नहीं है।
रेलवे में यात्री सुविधाएं बढ़ाने पर होगा फोकस
रेलवे में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एक बार फिर पटरी पर आने की संभावना है। ब्रोकिंग कंपनी मोर्गन स्टेनले ने कहा है कि भारत में रेलवे सुविधाओं को उन्नत और बेहतर बनाने के लिये अगले पांच साल के दौरान 95 अरब डालर (6.34 लाख करोड़ रुपए) राशि का निवेश किया जा सकता है। रेलवे की यह रफ्तार देश की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी ग्रोथ इंजन बन सकता है।
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