नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के लाखों कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। रेलकर्मी अब अपना और अपने परिजनों का इलाज निजी अस्पतालों में फिर से करा सकेंगे। रेल मंत्रालय ने अपने खर्चों में कटौती के लिए हाल ही में सभी रेल कर्मियों और उनके परिजनों का इलाज रेलवे के अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों में करवाने का आदेश पारित किया था, जिसे कर्मचारियों के विरोध के बाद रेलवे बोर्ड ने निरस्त कर दिया है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में 2 नवंबर, 2020 को भारतीय रेलवे के चिकित्सा निदेशकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सभी रेल कर्मचारियों और उनके परिजनों का संपूर्ण इलाज रेलवे अस्पतालों में ही किया जाए। इसमें कोरोना वायरस से संबंधित इलाज भी शामिल था। इस बैठक में फैसला लिया गया था कि रेलवे अस्पतालों द्वारा उचित इलाज न कर पाने या इन-हाउस सुविधा उपलब्ध न होने के की स्थिति में मरीजों को केवल सरकारी अस्पतालों में ही रेफर किया जाए।
Image Source : railway boardRailway Employees will be able to get treatment in private hospital
इस बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि यदि किसी सरकारी अस्पताल में भी संबंधित इलाज की सुविधा न होने पर ही मरीज को प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना से जुड़े निजी अस्पतालों या रेलवे द्वारा सीजीएचएस रेट पर अनुबंधित निजी अस्पतालों में में रेफर किया जाए। इस संबंध में 23 नवंबर, 2020 को रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक, स्वास्थ्य, डा. के श्रीधर के हस्ताक्षरयुक्त एक आदेश जारी कर सभी कर्मचारियों के रेफर केस और आने वाले खर्चों की ऑडिट और समीक्षा कराने के लिए भी जोनल कार्यालयों को निर्देशित किया था।
रेलवे कर्मचारियों ने किया था विरोध
कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में रेल मंत्रालय के इस फैसले का ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने कड़ा विरोध किया और इस फैलसे को वापस लेने की मांग की। फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने इस मामले को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ वी.के यादव के सामने रखा। कर्मचारियों के परेशानी को समझते हुए अध्यक्ष ने इस आदेश को वापस लेने का निर्देश दिया।
Image Source : railway boardRailway Employees will be able to get treatment in private hospital
कर्मचारियों का होता है कैशलेस इलाज
भारतीय रेलवे ने अपने कर्मचारियों और उनके परिजनों को बेहतर इलाज की सुविधा के लिए देशभर के निजी अस्पतालों से गठजोड़ किया है। यहां गंभीर बीमारी की हालत में कर्मचारियों को रेफर किया जाता है। रेलवे प्रशासन और निजी अस्पतालों के बीच पूर्व निर्धारित दर का अनुबंध होता है, जिस पर कर्मचारियों का कैशलेस (बिना पैसे के) इलाज होता है। जो भी खर्च आता है रेलवे प्रशासन निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति करता है।
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