मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने यह साफ किया कि ज्यादा छूट के जरिए आय प्राप्त करना स्टार्टअप के लिए कोई व्यावहारिक कारोबारी मॉडल नहीं है। उन्होंने कहा, अगर आप आय न कि मुनाफा केवल 50 फीसदी छूट वाली बिक्री के जरिए प्राप्त कर रहे हैं, यह दीर्घकाल के लिए व्यावहारिक नहीं हो सकता। दूसरी ओर राज ने अधिकारियों से कहा है कि वे एक दिन के लिए दफ्तर काम बिना अपने सहायकों के करके देखें, इससे उन्हों आम आदमी की दिक्कतों को समझने में मदद मिलेगी और वे बेहतर तरीके से अपने कर्तव्य को पूरा कर सकेंगे।
स्टार्टअप में ज्यादा छूट व्यावहारिक नहीं
राजन ने यह भी कहा कि कई कंपनियां विभिन्न अवस्थाओं में हैं और उनमें से कुछ व्यवहारिकता स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, ये सभी कंपनियां व्यवहारिक बनने की कोशिश कर रही हैं, कुछ को अभी भी बड़े पैमाने पर वित्त पोषण प्राप्त हो रहा है। उन्होंने यह कहा कि कुछ के लिये यह स्वभाविक है कि वे काम नहीं कर पाए जिससे कंपनी बंद होगी। यहां राज्य सचिवालय में वाईबी चव्हाण स्मृति व्याख्यानमाला में अपने संबोधन के बाद उन्होंने यह बात कही। यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब कुछ सफल स्टार्टअप का मूल्यांकन घट रहा है जिसका कुछ कारण व्यापार मॉडल में छूट को लेकर दबाव है। कई स्टार्टअप उद्यम पूंजी कोष से मिली पूंजी पर निर्भर हैं और कुछ बंद भी हुए हैं।
राजन की बाबुओं को सलाह, अपने सहायक का खुद करें काम
राजन ने अधिकारियों से कहा है कि वे एक दिन के लिए दफ्तर काम बिना अपने सहायकों के करके देखें, इससे उन्हें आम आदमी की दिक्कतों को समझने में मदद मिलेगी और वे बेहतर तरीके से अपने कर्तव्य को पूरा कर सकेंगे। खरी-खरी बोलने के लिए मशहूर गवर्नर ने कहा कि वह रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए इसी तरह की प्रणाली लाना चाहते हैं, जिसके तहत उन्हें कुछ सामान्य बैंकिंग कामकाज करने को कहा जाए, जिससे वे समझ सकें कि अन्य लोगों को इसमें क्या परेशानियां आती हैं।
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