नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त रोजगार पैदा नहीं हुए हैं और न ही देश की राजकोषीय स्थिति में कोई सुधार आया है। उन्होंने कहा कि मैक्रो स्टैबिलिटी और राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर भारत को अभी और काम करने की जरूरत है। राजन ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर सरकारी आदेशों और निर्देशों के बोझ को कम करने की भी जरूरत है।
राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भारत को अपनी जीडीपी ग्रोथ की दर को 7 प्रतिशत से अधिक रखना होगा। उन्होंने कहा कि अधिक मात्रा में सस्ती लेबर होने के बावजूद भारत का निर्यात नहीं बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राजन ने कई अन्य सुझाव भी दिए, उन्होंने कहा कि भारत को एक अच्छी ऑयल हेजिंग नीति को बनाने की आवश्यकता है, ताकि कच्चे तेल की उतार-चढ़ाव से आसानी से निपटा जा सके।
राजन ने यहां कहा कि यह आलसी सरकार है, यदि कोई कार्रवाई करनी जरूरी है तो उसके लिए बजटीय प्रावधान होना चाहिए। यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के छोटे शेयर धारकों के हितों के खिलाफ भी है।
उन्होंने कहा कि जो गतिविधियां जरूरी लगती हैं, उन्हें अंजाम देने के लिए सरकार को बैंकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सिर्फ कुछ बैंकों पर थोपा नहीं जाना चाहिए। राजन ने कहा कि इसके साथ ही बैंकों द्वारा सरकारी बांडों में अनिवार्य निवेश की जरूरतों को भी कम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अभी भी उतने पेशेवर नहीं है और वहां रिस्क प्रबंधन को बेहतर बनाने की जरूरत है।
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