नई दिल्ली। नोटबंदी से करीब 8 महीने पहले उस समय के रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर रघुराम राजन ने इसको लेकर सरकार को आगाह किया था। उस सयम सरकार ने जब RBI गवर्नर से इसपर राय मांगी थी तो रघुराम राजन ने कहा था कि इससे लंबी अवधि में जो फायदे होंगे उनके मुकाबले छोटी अवधि में होने वाला नुकसान ज्यादा भारी हो सकता है। रघुराम राजन ने अपनी किताब आई डू व्हाट आई डू (I Do What I Do) के लॉन्च से पहले अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में ये जानकारी दी है।
रघुराम राजन ने बताया कि फरवरी 2016 में उन्होंने नोटबंदी पर अपनी राय सरकार को सौंप दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर लगाम लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों की नोटबंदी की घोषणा की थी। रघुराम राजन ने ये भी कहा था कि कालेधन पर सरकार को अनुमान है अगर वह गलत बैठता है तो नोटबंदी के परिणाम क्या होंगे? राजन ने समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में ये भी कहा कि नोटबंदी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर खराब असर पड़ा है।
इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर ये कहना जायज होगा कि इसके पीछे इरादा ठीक था, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ये नहीं कहा जा सकता है कि नोटबंदी आर्थिक तौर पर एक सफल फैसला रहा है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ये फैसला फायदेमंद होगा या नहीं इसका पता समय बीतने पर ही चलेगा। 2 दिन पहले सरकार की तरफ से वित्तवर्ष 2017-18 की पहली तिमाही के GDP आंकड़े जारी हुए हैं जिनके मुताबिक ग्रोथ 3 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गई है। ग्रोथ के घटने की वजह से नोटबंदी को लेकर सरकार फिर से विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
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