नई दिल्ली। ब्जाय दरों में कटौती उम्मीद लगाए बैठे आम आदमी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक बार फिर मायूस किया है। आरबीआई के गर्वनर रघुराम राजन ने अपनी आखिरी मोनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट और सीआरआर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6.5 फीसदी और सीआरआर 4 फीसदी पर बरकरार है। इसके अलावा, आरबीआई ने महंगाई और आर्थिक ग्रोथ के अनुमान में भी कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में सस्ते लोन के लिए आम आदमी को अगली मोनेटरी पॉलिसी (4 अक्टूबर 2016) तक इंतजार करना होगा।
मोनेटरी पॉलिसी की प्रमुख बातें: –
आरबीआई ने मार्च 2017 तक रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) 5 फीसदी के अनुमान को बरकरार रखा है। हालांकि आरबीआई ने कहा, मार्च 2017 तक महंगाी पांच फीसदी के लक्ष्य से ऊपर पहुंच सकती है। वहीं दालों और अनाजों की महंगाई में तेजी से इजाफा दर्ज किया गया। दूसरी ओर आरबीआई ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 7.6 फीसदी की ग्रोथ दर का अनुमान बरकरार रखा। राजन ने कहा कि जीएसटी से देश में इन्वेहस्ट मेंट का माहौल बनेगा। राजन ने आगे कहा कि धन होने के बावजूद बैंकों ने नीतिगत दर में कटौती का अब तक केवल हल्का फायदा ही ग्राहकों को दिया है
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महंगाई बढ़ने का खतरा बरकरार
राजन ने चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति की तीसरी द्वैमासिक समीक्षा में कहा, रिजर्व बैंक के लिए इस वक्त रेपो दर अपरिवर्तित रखना और नीतिगत पहल की गुंजाइश के लिए अभी इंतजार करना उचित है। मौद्रिक नीति का रख उदार बना हुआ है और (केंद्रीय बैंक) धन की उपलब्धता के पर्याप्त प्रावधान पर जोर देता रहेगा। राजन ने कहा कि खाद्य महंगाई, सेवाओं की महंगाई और सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के असर के कारण जोखिम है कि मार्च 2017 तक खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य के उपर रह सकती है। जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 22 महीने के उच्चतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। आरबीआई ने कहा कि जोरदार बुवाई और मानसून की सकारात्मक प्रगति खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के लिए अच्छा संकेत है हालांकि दालों और अनाजों की कीमत बढ़ रही है।
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