10 सितंबर को वायुसेना में शामिल होगा राफेल, जानिए चीन-पाकिस्तान के मुकाबले कितनी है बढ़त
वायुसेना ने 59 हजार करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से 36 राफेल फाइटर का सौदा किया है, इसमे से 5 विमान जुलाई में भारत आए थे, वहीं 4 विमान की अगली खेप के अक्टूबर में आने की संभावना है।
नई दिल्ली। भारत के द्वारा हाल ही में खरीदे गए 5 राफेल विमान 10 सितंबर को आधिकारिक रूप से भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने जा रहे हैं। इस मौके पर भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्री अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन पर मौजूद रहेंगे। वायुसेना ने 59 हजार करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से 36 राफेल फाइटर का सौदा किया है, इसमे से 5 विमान जुलाई में भारत आए थे, वहीं 4 विमान की अगली खेप के अक्टूबर में आने की संभावना है। रक्षा जानकार मान रहे हैं कि राफेल के आने से भारत को चीन और पाकिस्तान पर एक बढ़त मिली है, और जैसे जैसे राफेल की संख्या बढ़ती जाएगी ये बढ़त और मजबूत होगी।
क्या है राफेल की खासियत
राफेल एक डेल्टा विंग ट्विन इंजन फाइटर है, जिसे फ्रांस, इजिप्ट और कतर की वायुसेना इस्तेमाल कर रही हैं। भारत आने वाले विमान राफेल की सबसे आधुनिक पीढी के विमान हैं। 10 टन भारी राफेल को 4.5 पीढ़ी की विमान माना जाता है, यानि इसमें रडार से खुद को छुपा लेने का गुण है। स्टेल्थ क्षमता में अमेरिका के स्टेल्थ विमान F-35 सबसे आगे हैं। हालांकि डॉगफाइट में राफेल F-35 से ज्यादा तेज है। इसमें चीन के विमानों से कही ज्यादा दूरी से मार करने वाली एयर टू एयर मिसाइल Meteor लगी हुई हैं। ये मिसाइल 120 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकती हैं। राफेल को फाइटर से लेकर ग्राउंड अटैक तक हर तरह के मिशन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या है राफेल के मुकाबले चीन के विमानों की क्षमता
चीन ने भारतीय सीमा पर नजर रखने के लिए Hotan एयरबेस पर J11 और J16 फाइटर तैनात किये हैं। दोनो विमान रूस के सुखोई विमानों की कॉपी हैं, जो राफेल के मुकाबले ज्यादा बड़े और ज्यादा लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं लेकिन इन विमानों की तुलना अमेरिका के उन लडाकू विमानों से की जाती है जिनकी क्षमता राफेल से काफी कम है। यानि राफेल फिलहाल चीन के तैनात फाइटर प्लेन पर भारी पड़ता है। इन विमानों के मुकाबले राफेल काफी फुर्तीला है, वहीं चीन के विमानों के मुकाबले ज्यादा भरोसेमंद है।
चीन के नए J20 स्टेल्थ फाइटर
माना जा रहा है कि राफेल के मुकाबले चीन J 20 स्टेल्थ फाइटर को तैनात कर सकता है। जिसे चीन अमेरिका के पांचवी पीढ़ी के F 35 और रूस के SU 57 के बराबर मानता है। चीन इन विमान का कई बार प्रदर्शन कर चुका है। हालांकि भारतीय और विदेशी रक्षा जानकार इनकी खूबियों को लेकर शंका जताते हैं, और इसे पूरी तरह से स्टेल्थ भी नहीं मानते। भारतीय सेना से जुड़े जानकारों के मुताबिक इस विमान में तीसरी पीढ़ी का इंजन लगा हुआ है, ऐसे में ये अधिक से अधिक 3.5 पीढ़ी का फाइटर प्लेन है जिसका प्रचार ज्यादा किया जा रहा है।
राफेल के मुकाबले कहां है पाकिस्तानी एयर फोर्स
राफेल के आने से पाकिस्तानी एयरपोर्स पर क्या असर पड़ा था, इसका अंदाजा पाकिस्तानी बयानों से मिला था, जिसमें पाकिस्तान ने भारत पर हथियारों की दौड़ शुरू करने का आरोप लगाया था। पाकिस्तान एयरफोर्स में शामिल F 16 और चीन के JF 17 फाइटर प्लेन उसके मुख्य फाइटर प्लेन हैं, लेकिन दोनो फाइटर प्लेन को राफेल सुरक्षित दूरी पर रहते हुए आसानी से मार गिरा सकता है। राफेल पर लगी 120 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली Meteor मिसाइल दुनिया के आधुनिकतम फाइटर प्लेन अमेरिका के F 35 में भी इस्तेमाल होती है। इस मिसाइल में दुनिया भर की एयर टू एयर मिसाइलों के मुकाबले सबसे बड़ा No-escape Zone होता है। यानि एक बार टार्गेट इस रेंज में आ जाए तो उसका नष्ट होना तय है।