नई दिल्ली। नए साल में मोबाइल वॉलेट के जरिये भुगतान उतना आसान नहीं होगा, जितना की वर्तमान में है। वित्त मंत्रालय के एक आदेश के मुताबिक पेटीएम, फ्रीचार्ज और मोबीक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट यूजर्स को अपना परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) बताना होगा, यदि उनका सालाना ट्रांजैक्शन 50,000 रुपए से अधिक होता है। एक मोबाइल वॉलेट कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक इस आदेश का मतलब ये है कि अगर कोई उपभोक्ता हरेक महीने वॉलेट से 10,000 रुपए खर्च कर रहा है तो पांचवां महीना बीतने के बाद उसे पैन बताना होगा। ऐसा नहीं करने पर उसके वॉलेट भुगतान को रोक दिया जाएगा। सरकार ने यह कदम काले धन के उपयोग को रोकने और कर आधार बढ़ाने के लिए उठाया है।
सर्कुलर में कहा गया है कि थर्ड पार्टी से कुछ खास प्रकार के परिचालकों के लिए सूचना जुटाने के लिए ऐसे परिचालकों के लिए आयकर अधिनियम के तहत पैन का उल्लेख करना जरूरी है, जहां परिचालन एक निश्चित सीमा पार कर गया है। जिनके पास पैन नहीं है उन्हें एक फॉर्म भरना होगा और अपनी पहचान बताने के लिए कोई एक दस्तावेज देना होगा। काले धन पर गठित विशेष जांच समिति ने सिफारिश की है कि वस्तु और सेवाओं की खरीद के उन सभी मामलों में पैन का उल्लेख अनिवार्य किया जाए, जिनमें भुगतान 1 लाख रुपए से अधिक होता है। वित्त मंत्रालय के अनुसार काले धन का पता लगाने के लिए कैश कार्ड, पेमेंट एंड सेगमेंट एक्ट के तहत जारी प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट की भी जांच होगी और सालाना 50,000 रुपए से अधिक के लेन-देन के लिए पैन का उल्लेख करना अनिवार्य होगा।
वर्तमान में मोबाइल वॉलेट कंपनियां अपने ग्राहकों से मासिक 10 हजार रुपए से अधिक के भुगतान पर केवायसी करवाती हैं। केवायजी फॉर्म भरने के बाद यह सीमा बढ़कर एक लाख रुपए मासिक हो जाती है। मोबाइल वॉलेट कंपनियों का कहना है कि अधिकांश उपभोक्ता अपना पैन बताने के लिए तैयार नहीं होंगे।
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