आज जारी होंगे जुलाई-सितंबर तिमाही के GDP आंकड़े, पहली बार आर्थिक मंदी की आशंका
कोविड 19 से जंग के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) आज वित्त वर्ष 2020-21 के जीडीपी के आंकड़े जारी करने जा रहा है।
कोविड 19 से जंग के बीच राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) आज वित्त वर्ष 2020—21 के जीडीपी के आंकड़े जारी करने जा रहा है। सरकार और शेयर बाजार से लेकर पूरे आर्थिक जगत को इन जीडीपी आकड़ों का बेसब्री से इंतजार है। बता दें कि अप्रैल जून तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पा में एतिहासिक गिरावट दर्ज की गई थी। पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 फीसदी दर्ज की गई थी। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो यह अमेरिका के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे बुरी परफॉर्मर रही थी।
अप्रैल जून-तिमाही में निगेटिव ग्रोथ के बाद अगर आज जारी होने वाले आंकड़ों में भी निगेटिव ग्रोथ देखने को मिलती है तो देश पहली बार आर्थिक मंदी की गिरफ्त में होगा। आर्थिक मंदी की परिभाषा यही है कि अगर लगातार 2 तिमाही तक किसी देश की अर्थव्यवस्था में निगेटिव ग्रोथ देखने को मिलती है तो उस देश को आर्थिक मंदी यानि रिसेशन में फंसा हुआ माना जाता है।
हालांकि अर्थशास्त्री और अन्य जानकार इस बार अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी की उम्मीद जता रहे हैं। आरबीआई ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से अधिक जोरदार वापसी की है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के साथ ही भारत में भी वृद्धि में गिरावट आने का जोखिम अभी भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हालांकि ग्रोथ आउटलुक बेहतर हुआ है, लेकिन यूरोप और भारत के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के दोबारा फैलने के कारण ग्रोथ के लिए डाउनसाइड रिस्क अभी भी बरकरार है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अंशकालिक सदस्य नीलेश शाह ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट पहली तिमाही के मुकाबले कम होगी और यह ऊपरी स्तर के एक अंक में रह सकती है। शाह ने कहा कि बाजार में दीर्घकाल में तेजी आनी तय है। शाह ने कहा, ‘‘जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। यह अबतक की सबसे बड़ी गिरावट थी। सितंबर तिमाही में भी जीडीपी में गिरावट का अनुमान है लेकिन यह दहाई अंक के मुकाबले ऊपर स्तर के एकल अंक में होगी। वहीं अक्टूबर दिसंबर तिमाही में गिरावट और कम होगी तथा जनवरी-मार्च, 2021 तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सकारात्मक रहनी चाहिए।’’
अप्रैल जून तिमाही में एतिहासिक गिरावट
वित्त वर्ष 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ में उम्मीद से ज्यादा गिरावट आई थी। पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट -23.9 फीसदी दर्ज की गई थी। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो यह अमेरिका के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे बुरी परफॉर्मर रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में बीते 40 साल में पहली बार इतनी बड़ी गिरावट आई थी। असल में कोरोना महामारी के चलते देशभर में 2 महीने संपूर्ण लॉकडाउन रहा, जिससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ गईं। बता दें, सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन का एलान किया था। वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.1 फीसदी की दर से बढ़ी थी. जबकि 2019-20 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.2 फीसदी रही थी।