नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के प्रबंध निदेशक सुनील मेहता ने गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) वाले करीब पांच बड़े खातों का समाधान द्विपक्षीय आधार पर होने की उम्मीद जतायी। जबकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पहचान किए गए कुल 28 NPA खातों में से बचे दो दर्जन अतिरिक्त खातों का समाधान राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के माध्यम से करने के लिए कहा। इन पहचान किए गए NPA खातों का समाधान करने की रिजर्व बैंक की अंतिम तिथि दो दिन पहले ही समाप्त हो गई।
इन खातों में कुल चार लाख करोड़ रुपये का ऋण बकाया है। मेहता ने कहा, ‘‘दूसरी सूची के 28 मामलों में से हमारा बैंक 20 में शामिल है। इनके तहत बैंक ने 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया हुआ है और इसके लिए बैंक को अपने खातों में 800 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की जरूरत है। इसमें से 75 करोड़ रुपये बैंक सितंबर के अंत तक दे चुका है और बचे हुए 725 करोड़ रुपये इस तिमाही में दिए जाएंगे।’’ रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार मार्च 2018 तक एनसीएलटी को भेजे गए मामलों के लिए बैंकों को 50% राशि का प्रावधान करना है।
मेहता ने कहा, ‘‘मैं सबसे बुरी हालत को देखता हूं कि कुछ भी समाधान नहीं हुआ और सारे मामले NCLTके पास चले गए तो मेरे द्वारा किए गए 725 करोड़ रुपये का प्रावधान इसे ठीक तरह से संभाल लेगा।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ मामलों का समाधान NCLT के बाहर भी हो सकता है। मेहता ने कहा, ‘‘हां कुछ मामलों का समाधान द्विपक्षीय आधार पर हो सकता है। लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होगी, संभवतया चार से पांच...।’’ मेहता ने कहा कि 28 पहचान किए गए मामलों में से 20 में पंजाब नेशनल बैंक भागीदार है। हालांकि उन्होंने इन खातों का नाम नहीं बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पीएनबी इनमें किसी भी मामले का नेतृत्व नहीं कर रहा है।
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