नई दिल्ली। पंजाब में आगामी रबी विपणन सीजन 2021-22 में गेहूं की सरकारी खरीद 10 अप्रैल से शुरू होने जा रही है, लेकिन फसल के दाम का किसानों के खाते में सीधा भुगतान करने में जमीन के रिकॉर्ड को लेकर पेंच फंसा हुआ है। देश के अन्य राज्यों ने फसलों की सरकारी खरीद में जमीन के रिकॉर्ड को दाखिल करने की व्यवस्था लागू करके फसल के दाम का सीधा भुगतान किसानों के खाते में करना शुरू कर दिया है, लेकिन पंजाब में अब तक किसानों को आढ़तियों के मार्फत ही भुगतान होता है।
केंद्र सरकार का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद में किसानों की जमीन का रिकॉर्ड दाखिल करने और ऑनलाइन भुगतान होने से व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और असली किसानों को इसका फायदा मिलेगा। लेकिन पंजाब सरकार आगामी रबी सीजन में जमीन के रिकॉर्ड दाखिल करने की अनिवार्यता लागू करने को तैयार नहीं है। प्रदेश सरकार का कहना है कि इसके लिए उसे और समय की आवश्यकता है।
पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा, "जमीन रिकॉर्ड दाखिल करना एक अच्छा रिफॉर्म है, लेकिन उसके लिए समय चाहिए। आज किसान जब बॉर्डर (दिल्ली की सीमाओं)पर आंदोलन पर बैठें हैं, तब हम उनसे जमीन का रिकॉर्ड लेने कहां जाएंगे।" उन्होंने कहा कि कई किसानों ने अपनी जमीन बटाई पर दे रखी है और किसी ने ठेके पर दे रखी है, इस तरह जमीन का मालिक कोई और है जबकि खेती कोई और कर रहा है, इसलिए उनको कैसे भुगतान किया जाएगा, इस पर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित हितधारकों से बातचीत करके उनको विश्वास दिलाना होगा।
भारत भूषण आशु ने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अनाज की सरकारी खरीद से जुड़े मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करना चाहते हैं और वह जल्द ही प्रधानमंत्री से मिलेंगे। बता दें कि हरियाणा आगामी रबी सीजन से एमएसपी पर फसलों की खरीद का पूरा पैसा किसानों के खाते में सीधा भुगतान की व्यवस्था लागू करने जा रहा है। आढ़तियों की माने तो जमीन के रिकॉर्ड को लेकर वहां किसानों के पंजीकरण की कोई कठिनाई नहीं है, क्योंकि जिन्होंने जमीन पट्टे पर ले रखी है उनके पास एग्रीमेंट का कागज होता है।
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