कानपुर। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को उम्मीद है कि इस वर्ष देश में दालों का उत्पादन करीब 221 लाख टन होगा। इससे आम लोगों को सस्ते दामों पर दालें बाजार में उपलब्ध होंगी। पिछले वर्ष की तरह दालों के दाम 200 रुपए किलो तक नहीं जाएंगे।
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एनपी सिंह ने कहा कि,
इस वर्ष देश में दलहन उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि होने की संभावना है। कृषि सहकारिता विभाग के अनुमान के अनुसार देश में इस वर्ष लगभग 221 लाख टन होना सुनिश्चित है। दालों की इस बंपर पैदावार में वैज्ञानिक विधि से उन्नत तकनीक का इस्तेमाल भी एक महत्तवपूर्ण हिस्सा है।
- पिछले साल देश में दालों की कीमत 200 रुपए तक पहुंच गई थी।
- इसका कारण यह था कि देश में दलहन का उत्पादन 160 से 180 लाख टन होता था, जबकि दाल की खपत करीब 220 लाख टन की थी।
- उन्होंने बताया कि दलहन उत्पादकता में वृद्धि लाना, कम समय में पैदा होने वाली दलहन की प्रजातियों का विकास करना तथा फसल की गुणवत्ता को बढ़ाना हमारा प्रमुख काम था।
- पिछले साल से किए जा रहे इन प्रयासों के सुखद परिणाम सामने आए हैं और अब दालों के आयात पर हमारी निर्भरता घटेगी तथा दालों के दाम भी नियंत्रित रहेंगे।
- उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में विभिन्न दलहन की फसलों की 23 उन्नतशील प्रजातियां विकसित की गईं, जिसमें चने की सात, अरहर की चार, मूंग व मसूर की तीन-तीन तथा मटर और उड़द दाल की एक एक प्रजाति विकसित शामिल है।
- दलहन संस्थान इक्रीसेट हैदाराबाद, एवीआरडीसी ताईवान, एसीआईएआर ऑस्ट्रेलिया, तथा इकार्डा लेबनान जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं के साथ मिलकर शोध कार्य कर रहा है।
- संस्थान का लक्ष्य वर्ष 2020 तक देश में दालों का उत्पादन बढ़ाना है।
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