नई दिल्ली। सरकार द्वारा अश्वासन के बावजूद आलोचनाओं और जनता की चिंताओं के बीच मोदी सरकार ने फैसला किया है कि वह फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (FRDI Bill) नहीं लाएगी। लोगों ने बैंकों में जमा अपने पैसों को लेकर इस बिल की वजह से चिंता जाहिर की थी। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बैंक कर्मचारी यूनियन और सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा 14 जुलाई को विरोध किए जाने से एक दिन पहले ही 2017 के FRDI Bill को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया गया है। साथ ही, आर्थिक मामलों के विभाग को यह निर्देश दिया गया कि कैबिनेट की मंजूरी के लिए इस बिल को ठंडे बस्ते में डालने का प्रस्ताव तैयार किया जाए।
इसे ठंडे बस्ते में डालने की एक प्रमुख वजह उस भ्रम को बताया गया है जिसके तहत जमाकर्ताओं में बैंकों से पैसे निकालने की होड़ लग गई और इससे जनता का भरोसा भी डिग गया था।
दरअसल इस भय के पीछे इस बिल का विवादास्पद बेल-इन क्लॉज था। इसमें कहा गया था कि बैंक के दिवालिया होने की दशा में जमाकर्ताओं को समाधान के लागत के तौर पर अपने दावे का एक हिस्सा देना पड़ता।
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