नई दिल्ली। नगदी संपन्न कोयला, बिजली व तेल क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियां चार उर्वरक कारखानों के पुनरोद्धार के लिए 2020-21 तक संयुक्त रूप से लगभग 30,000 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी। इस निवेश का उद्देश्य देश को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
इसके तहत गोरखपुर (उत्तरप्रदेश), सिंदरी (झारखंड), तलछर (ओडिशा) व बरौनी (बिहार) में बंद पड़े यूरिया कारखानों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। इनमें निवेश के साथ-साथ 13,000 करोड़ रुपए का निवेश पूर्वी क्षेत्र को बाकी देश से जोड़ने वाली गैस पाइपलाइन को बिछाने में किया जा रहा है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि धामरा, ओडि़शा में एलएनजी के आयात के लिए टर्मिनल स्थापित करने में 6000-8000 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। इससे कुल मिलाकर निवेश 50,000 करोड़ रुपए हो जाएगा। उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भारत की यूरिया की सालाना जरूरत 3.1-3.2 करोड़ टन की है। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2016-17 में घरेलू उत्पादन 2.45 करोड़ टन रहा। बाकी यूरिया आयात की गई।
उर्वरक कारखानों के पुनरोद्धार से कृषि उत्पादकता को बल मिलेगा जिसका देश की 2110 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है। अनंतकुमार ने इन कारखानों के पुनरोद्धार को लेकर प्रधान व बिजली मंत्री पीयूष गोयल के साथ विचार विमर्श किया। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि उक्त चार कारखानों के साथ-साथ रामागुंडम (तेलंगाना) स्थित यूरिया इकाई का पुनरोद्धार भी किया जा रहा है।
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