नई दिल्ली। सरकार ने सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) को 1999 से पहले के तेल एवं गैस क्षेत्रों में उनकी इक्विटी हिस्सेदारी के बराबर ही रॉयल्टी और उपकर का भुगतान करने के लिये एक नई नीति अधिसूचित की है। नयी अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) और एनईएलपी से पहले आवंटित ब्लॉक के संबंध में उत्पादन भागीदारी अनुबंधों के कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए नीति रूपरेखा को कल भारत सरकार के राजपत्र में अधिसूचित किया गया।
अभी तक ओएनजीसी और ओआईएल को एक एनईएलपी नीति शुरू होने से पहले आवंटित 11 क्षेत्रों पर 100 प्रतिशत रॉयल्टी और उपकर का भुगतान करना पड़ता था। ये क्षेत्र 1999 से पहले निजी कंपनियों को दिये गये थे।
सरकार ने देश में निवेश को आकर्षित करने के लिये 90 के दशक में कुछ खोज हो चुके तेल एवं गैस क्षेत्रों को निजी कंपनियों को दिया था। इस तरह के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये, रॉयल्टी और उपकर जैसे सांविधिक शुल्कों के भुगतान की जिम्मेदारी सरकारी तेल कंपनियों पर थी। इन्हें इन क्षेत्रों का लाइसेंसधारक बनाया गया था। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को इन ब्लॉकों को फिर लेने का अधिकार दिया गया या फिर 30 से 40 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी लेने के लिये कहा गया। हालांकि, उन्हें 100 प्रतिशत सांविधिक शुल्क का भुगतान करना होता है।
इस नये नियम को पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी थी। यह नियम गुजरात स्थित ढोलका ब्लॉक जैसे 11 क्षेत्रों पर लागू होगा। इस ब्लॉक का संचालन जोशी आयल एण्ड गैस के पास है। यह नियम कावेरी बेसिन स्थित हिन्दुस्तान आयल एक्सप्लोरेशन कंपनी (एचओईसी) द्वारा संचालित पीवाई-1 क्षेत्र पर भी लागू होगा। सरकार ने इन क्षेत्रों में (एनईएलपी से पहले के) निवेश को प्रोत्साहित करने के वास्ते रायल्टी, उपकर जैसी सांविधिक भुगतानों को साझा करने की अनुमति दी है। ब्लाक में भागीदारों की इक्विटी हिस्सेदारी के बराबर ही उसी अनुपात में सांविधिक भुगतान करने होंगे।
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