नई दिल्ली। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि सरकारी बैंकों (PSBs) ने अप्रैल 2014 और सितंबर 2017 के बीच 2.42 लाख करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए। वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा में लिखित जवाब में ये जानकारी दी। बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाने के लिए गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) या बुरे कर्जों को बट्टे खाते में नियमित रूप से डालते रहते हैं।
मंत्री ने कहा कि वैश्विक परिचालन पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर सितंबर 2017 तक 2,41,911 करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाले हैं। उन्होंने कहा कि आम तौर पर बैंक टैक्स बेनिफिट और कैपिटल ऑप्टिमाइजेशन के लिए कर्जों को बट्टे खाते में डालते हैं। शुक्ला ने कहा कि कर्जों को बट्टे खाते में डालने का यह मतलब नहीं होता कि कर्ज लेने वाला उसे नहीं चुकाएगा या बैंक वसूली की कोशिश नहीं करेंगे। बट्टे खाते में डाली गई ऐसी राशि का पुनर्भुगतान करवाने की जिम्मेदारी बैंकों पर रहती है।
शुक्ला ने कहा कि बकाए राशि की वसूली की प्रक्रिया सारफेसी कानून और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल सहित दूसरी कानूनी विधियों से जारी रहती है। इसलिए, कर्ज को बट्टे खाते में डालने से कर्ज लेने वालों को कोई फायदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि RBI ने जानकारी दी है कि कर्ज लेने वालों के हिसाब से क्रेडिट इंफॉर्मेशन खुलासे के लिए उपलब्ध नहीं है।
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