नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में पूंजी बाजार से 50,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई है। बैंक यह पूंजी कारोबारी विस्तार के लिए अपना पूंजी आधार बढ़ाने और वैश्विक जोखिम नियमों का अनुपालन करने के लिए जुटाएंगे।
इन बैंकों को पूंजी की काफी जरूरत है क्योंकि इन पर 10 लाख करोड़ रुपए की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) का बोझ है। विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों के ऋण खातों को साफ-सुथरा किए जाने के बावजूद उनके पहली तिमाही के नतीजे उत्साहवर्धक नहीं होंगे। एनपीए के मोर्चे पर चीजें अभी पूरी तरह से समायोजित नहीं हुई हैं।
जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में से 13 ने पहले ही इक्विटी बाजार के जरिये पूंजी जुटाने के लिए अपने निदेशक मंडल या शेयरधारकों की मंजूरी हासिल कर ली है। इन बैंकों की शेयर बिक्री का कुल मूल्य 50,000 करोड़ रुपए से ऊपर बैठेगा।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को विभिन्न माध्यमों से 8,000 करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है। इनमें अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ), राइट इश्यू या पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) शामिल है। केनरा बैंक ने भी राइट इश्यू और क्यूआईपी के जरिये 7,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव किया है। बैंक ऑफ बड़ौदा की 6,000 करोड़ रुपए और सिंडिकेट बैंक की 5,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है।
जिन अन्य बैंकों की पूंजी जुटाने की योजना है उनमें ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूको बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, देना बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
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