सरकारी बैंकों को अगले 2 साल में 2.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत; मूडीज
महामारी के वजह से पहले से दबाव सह रहे सरकारी बैंकों के NPA में बढ़त की आशंका
नई दिल्ली। महामारी की वजह से हुए नुकसान से उबरने के लिए सरकारी बैंकों को अगले 2 साल में 2.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत पड़ेगी और इसे पूरा करने के लिए सरकार का सहयोग जरूरी होगा। शुक्रवार को मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कहा कि भारतीय अर्थव्यस्था में पहले से गिरावट जारी थी जो अब महामारी की वजह से और तेज हो गई है। इससे सरकारी बैंकों की एसेट क्वालिटी और खराब होने की आशंका बन गई है।
मूडीज की वाइस प्रेसीडेंट अलका अंबारासु के मुताबिक सरकारी बैंकों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें बाहरी स्रोत से अगले 2 साल में 1.9 लाख करोड़ रुपये लेकर 2.1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत होगी। उनके मुताबिक सरकारी बैंक भारतीय बैंकिंग सिस्टम का काफी बड़ा हिस्सा कवर करते हैं, ऐसे में पूंजी की कमी से किसी सरकारी बैंक का मुश्किल में पड़ना वित्तीय स्थिरता के लिए काफी नुकसान दायक साबित होगा। उन्होने साथ ही कहा कि उम्मीद है कि आने वाले समय में पूंजी के लिए सरकार का समर्थन बना रहेगा।
मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष में तेज गिरावट दर्ज कर सकती है। हालांकि अगले वित्त वर्ष में एक बार फिर ग्रोथ का अनुमान है। मूडीज के मुताबिक इस साल अर्थव्यवस्था में दबाव की वजह से NPA में तेज बढ़त दर्ज होगी जिसमें रिटेल कर्ज और MSME सेक्टर को दिए गए कर्ज का एक बड़ा हिस्सा शामिल हो सकता है। भले ही रिजर्व बैंक के द्वारा एक बार के लिए रिस्ट्रक्चरिंग के फैसले से NPA के तेज उछाल पर नियंत्रण की संभावना बन गई हो, लेकिन कर्ज पर दबाव अगले 2 साल तक बना रह सकता है, ऐसे में इस अवधि के दौरान पहले से दबाव सह रहे सरकारी बैंकों को बाहर से पूंजी की आवश्यकता पड़ेगी। मूडीज ने कहा कि बैंकों की वित्तीय स्थिरता के लिए सरकार को पब्लिक सेक्टर बैंकों को पूंजी मदद लगातार देते रहनी चाहिए।