नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपए पर दबाव, अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती से निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली के पास काफी नकदी है, महंगाई दर भी नीचे है, लेकिन इसे सामान्य स्थिति नहीं माना जा सकता।
उद्योग मंडल एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बार 500 और 1000 के पुराने नोटों के स्थान पर नई करेंसी आने के बाद खेल में बदलाव आएगा। इसके अलावा चीनी और गेहूं जैसे कई कमोडिटी के दाम मजबूत हो रहे हैं।
- एसोचैम ने कहा कि उद्योग के रूप में हम चाहते हैं कि ब्याज दरें कम हों, लेकिन वृहद आर्थिक तस्वीर को देखते हुए यह मुश्किल नजर आता है।
- एसोचैम ने कहा कि सबसे अधिक जोखिम वैश्विक परिदृश्य की वजह डॉलर की मजबूती, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय धन के वापस लौटने की वजह से है।
- इसके अलावा उभरते बाजारों से भारी निकासी हो रही है।
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उद्योग मंडल ने कहा कि हम धीरे-धीरे कच्चे तेल के निचले दाम की काफी लाभकारी स्थिति से हट रहे हैं। इसके अलावा मजबूत और स्थिर रुपया भी नीचे आ रहा है। इसकी वजह से ईंधन की यहां आने की लागत काफी कम बैठती थी।
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