नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इस साल अपनी नीतिगत ब्याज दरों में की गई 1.25 फीसदी की कटौती तथा डेवलपर्स द्वारा विभिन्न आकर्षक ऑफर और डिस्काउंट के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में लोग घर खरीदने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। त्योहारी सीजन में भी रियल एस्टेट का बाजार ठंडा पड़ा हुआ है। औद्योगिक संगठन एसोचैम के ताजा सर्वे में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसे में कमी और परियोजनाओं में देरी की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में सुस्ती छाई हुई है।
एसोचैम ने दिल्ली-एनसीआर में करीब 125 रियल एस्टेट डेवलपर्स पर यह सर्वे किया। इसमें यह तथ्य सामने निकलकर आया है कि इस बार प्रॉपर्टी की खरीद के लिए मांग में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि रियल एस्टेट बाजार में मांग वास्तव में काफी निचले स्तर पर है। कीमतों में हालांकि भारी गिरावट आई है, लेकिन अभी भी मकान महंगे हैं। रोहिणी, द्वारका, दक्षिण दिल्ली, नोएडा तथा गुड़गांव में प्रॉपर्टी के दाम पिछले दो साल की तुलना में 25 से 30 फीसदी घटे हैं। बावजूद यहां घर खरीदने वाले ग्राहकों की कमी है।
सर्वे के अनुसार आवश्यक मंजूरियां हासिल करने में देरी से परियोजना की लागत और समय बढ़ जाता है। रीसेल यानी पुराने मकानों की बिक्री का बाजार भी इस त्योहारी सीजन में ठंडा है। विशेषरूप से एनसीआर और आसपास के इलाकों में पुराने मकानों की बिक्री नहीं हो रही है।
इसी प्रकार नए घरों के बाजार में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट आई है। बन चुके और बिक नहीं पाए मकानों का सबसे अधिक दबाव एनसीआर पर है। एनसीआर के ज्यादातर डेवलपर्स ने कहा कि इस क्षेत्र में करीब 62 फीसदी मकान खाली पड़े हैं। यह समस्या नियामकीय मंजूरियों में देरी और मुकदमेबाजी से और गहरा गई है।
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