नई दिल्ली। सरकार ने 55 जरूरी दवा का अधिकतम मूल्य तय किया है, जिससे एचआईवी संक्रमण, मधुमेह, कंठशूल एंजाइना व घबराहट डिसऑर्डर सहित अनेक रोगों के इलाज में काम आने वाली दवाओं की कीमत 5 से लेकर 44 प्रतिशत तक कम हुई है।
- नेशनल ड्रग प्राइसिंग रेगूलेटर एनपीपीए ने इसके साथ ही 29 फॉर्मूलेशन की रिटेल कीमत भी तय की है।
- एनपीपीए ने इस बारे में एक बयान जारी किया है। इसके अनुसार, एनपीपीए ने दवा कीमत नियंत्रण संशोधन आदेश 2016 के तहत अनुसूची-एक की 55 अधिसूचित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत संशोधित या तय की है।
- इसी तरह डीपीसीओ, 2013 के तहत 29 फॉर्मूलेशन की खुदरा कीमत तय की गई है।
- एनपीपीए के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह ने बताया कि कीमतों में 5 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
- औसत कमी 25 प्रतिशत है।
- दवा कीमत नियंत्रण आदेश डीपीसीओ 2013 के तहत एनपीपीए अनुसूची एक की जरूरी दवाओं की अधिकतम कीमत तय करता है।
- प्राइस कंट्रोल के दायरे में नहीं आने वाली दवाओं के मामले में निर्माता को सालाना अधिकतम खुदरा मूल्य में 10 फीसदी वृद्धि करने की अनुमति है।
- सरकार ने 1995 के पुराने नियमों के स्थान पर डीपीसीओ 2013 को अधिसूचित किया है, जो 15 मई 2014 से प्रभावी है, इसके तहत 680 फॉर्मूलेशन आते हैं।
- पुराने नियमों के तहत केवल 74 बल्क दवाओं को ही कवर किया जा सकता था।
- 1997 में स्थापित एनपीपीए फार्मा उत्पादों की कीमतों को तय करने और संशोधित करने का काम करता है।
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