नई दिल्ली। अगले महीने की 4 तारीख से ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने से पहले भारत ने मंगलवार को कहा कि क्रूड ऑयल मार्केट की प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए कच्चे तेल की उपलब्धता कोई वजह नहीं है बल्कि एक बड़े तेल आपूर्तिकर्ता के बाजार से हटने की आशंका से प्रभावित धारणा के कारण दाम बढ़ रहे हैं।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंडिया एनर्जी फोरम से अलग संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि ईरान से आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में उसकी भरपाई के विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि एक बड़े आपूर्तिकर्ता के बाजार से अनुपस्थित होने की आशंका में बाजार घबराया हुआ है और इसी कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं।
प्रधान ने भारत द्वारा अमेरिका से प्रतिबंधों में राहत दिए जाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर कहा कि देश ने नवंबर के लिए ईरान के साथ सौदा कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। इसके अलावा दोहराए जाने के लिए कोई नई बात नहीं है। प्रधान ने पिछले सप्ताह कहा था कि नवंबर में ईरान से 12.5 लाख टन कच्चा तेल खरीदने का सौदा किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कच्चे तेल की उपलब्धता के संबंध में कोई मुद्दा ही नहीं है। लेकिन विश्व के विभिन्न भागों में भू-राजनीतिक अनिश्चितता के चलते यह धारणा से जुड़ा मुद्दा बन गया है। यही प्राथमिक चुनौती है। हम पहले दिन से आश्वस्त हैं कि कच्चा तेल मंगाने में कोई समस्या नहीं होगी। यह अन्य देशों के पास प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है।
प्रधान के साथ उपस्थित आईएचएस मार्किट उपाध्यक्ष डैनिएल यर्गिन ने भी संवाददाताओं से कहा कि बाजार के समक्ष धारणा प्रभावित होने की दिक्कत है, आपूर्ति की नहीं। उल्लेखनीय है कि प्रतिबंध लागू होने का समय नजदीक आने के मद्देनजर इस महीने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें चार साल के उच्च स्तर 86.74 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। हालांकि, अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लागू होने का समय बढ़ाए जाने के संकेत के बाद दाम कुछ नरम पड़े हैं।
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