मुंबई। पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच चल रही बातचीत अगर सफल होती है तो जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती हो सकती हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय क्रूड ऑयल पर लगने वाले सेस को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय से बातचीत कर रहा है। जून 2014 से क्रूड ऑयल के दाम में जारी गिरावट के बाद से ही इंडस्ट्री सेस में कटौती की मांग कर रहा है। हालांकि इसका पेट्रोल-डीजल सीधे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन क्रूड ऑयल पर सेस कम लगेगा तो कंपनी की लागत कम आएगी और पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर इसका असर दिखेगा।
सेस घटाने का सही समय: धर्मेंद्र प्रधान
पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि क्रूड ऑयल सेस मुद्दे पर गौर करने का समय आ गया है। हम चाहते हैं कि ऑयल सेस को कीमत के आधार पर लगाया जाए। मैं चाहता हूं कि यह सभी के लिए फायदे वाला हो, ताकि सरकार के राजस्व में ज्यादा नुकसान नहीं हो, इसके साथ ही कंपनियों को भी ज्यादा नुकसान नहीं होना चाहिए। तेल की खोज करने वाली कंपनियों को वर्तमान में क्रूड ऑयल पर 30 फीसदी यानी 4,500 रुपए प्रतिटन की दर से सेस देना होता है। साल 2006 से सरकार ने तेल के दाम और तेल पर लगने वाले उपकर दोनों को ही आपस में जोड़ दिया। इसका मतलब यह हुआ कि दाम बढ़ने पर सरकार भी नियमित रूप से सेस में बढ़ोत्तरी करती रही।
ऑयल कंपनियों ने सेस घटाने की मांग
केयर्न इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव मयंक अशर ने कहा कि ऐसे समय जब क्रूड ऑयल के दाम जून 2014 के बाद से 60 फीसदी के करीब नीचे आ चुके हैं। सरकार के लिए 30 फीसदी की दर से सेस लेना उचित नहीं लगता है। अशर ने सरकार से मांग की सेस को तर्कसंगत बनाया जाए और यह वर्तमान मूल्य पर लगाया जाना चाहिए। आप ऐसा नहीं रख सकते हैं कि टैक्स और फीस स्थिर बने रहें और केवल दाम गिरते चले जाएं। उन्होंने कहा कि 30 फीसदी सेस काफी ज्यादा है और मौजूदा परिस्थितियों में यह अस्वीकार्य है।
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