नयी दिल्ली। बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का बकाया जुलाई में 57 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 73,748 करोड़ रुपए पहुंच गया। इससे पिछले साल जुलाई में यह राशि 46,779 करोड़ रुपए थी। इस संबंध में आंकड़े जुटाने वाले प्राप्ति पोर्टल पर उपलब्ध नवीनतम जानकारी में यह बात सामने आयी है। इस पोर्टल की शुरुआत मई 2018 में बिजली खरीद लेनदेन में पारदर्शिता लाने के लिए की गयी थी।
बिजली उत्पादक कंपनियां, वितरण कंपनियों को भुगतान करने के लिए 60 दिन की अवधि (ग्रेस पीरियड) उपलब्ध कराती हैं। इस अवधि के बीत जाने के बाद भी वितरण कंपनियों द्वारा नहीं चुकाया गया कुल विलंबित बकाया जुलाई में 54,342 करोड़ रुपए रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 30,331 करोड़ रुपए था। बिजली उत्पादक कंपनियों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने एक अगस्त से भुगतान सुरक्षा व्यवस्था शुरू की है। इसमें बिजली वितरण कंपनियों को उधार पर बिजली खरीदने केलिए बैंकों से निरंतर मान्य साख-पत्र की जरूरत होगी।
पोर्टल के अनुसार, कुल बकाया और विलंबित बकायों में जून 2019 के मुकाबले भी वृद्धि हुई है। जून में वितरण कंपनियों का कुल बकाया 69,905 करोड़ रुपए था जिसमें विलंबित बकायों की राशि 51,748 करोड़ रुपए थी। उत्पादकों के बकाए का बड़ा हिस्सा राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की वितरण कंपनियों पर है। इनमें से कुछ बकाया 820 दिन तक का हो गया है। इस मामले में 820 दिन पुराने बकाए के साथ राजस्थान और बिहार की स्थिति सबसे खराब है। हरियाणा और आंध्र प्रदेश में 818 दिन, मध्य प्रदेश 805 दिन, तेलंगाना 798 दिन, कर्नाटक 792 दिन और तमिलनाडु 791 दिन के बकाए चल रहे थे। वितरण कंपनियों पर स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का विलंबित बकाया ऐसी कुल बकाया राशि 54,342 करोड़ रुपए का 23.57 प्रतिशत हो गया है।
प्रमुख सरकारी बिजली उत्पादकों में एनटीपीसी का 7,778.38 करोड़ रुपए, एनएलसी इंडिया का 4,693.48 करोड़ रुपए, टीएचडीसी इंडिया का 1,954.24 ककरोड़ रुपए, एनएचपीसी का 1,613.84 करोड़ रुपए और दामोदर घाटी निगम का 786.69 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादकों में अडाणी पावर का 3,201.68 करोड़ रुपए, बजाज समूह की ललितपुर बिजली उत्पादक कंपनी का 2,212.66 करोड़ रुपए और जीएमआर का 1,733.18 करोड़ रुपए बकाया है।
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