चेन्नई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को यह स्वीकार किया है कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना को स्थगित करके गलती की। उन्होंने कहा कि हमनें निहित स्वार्थ वालों के विरोध के कारण इसे रोक दिया, जो एक गलती थी, इसके लिए एक समिति का गठन किया गया।
उन्होंने बताया कि समिति ने नई भाजपा सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि डीबीटी योजना को रोकने का कोई कारण नहीं था। उसने योजना के विस्तार की बात कही। आज यह योजना पूरे देश में चलाई गई है। चिदंबरम ने स्वीकार किया कि हम डर और घबरा गए थे। इसीलिए डीबीटी योजना को रोक दिया था। इसी तरह राष्ट्रीय आतंक रोधी केंद्र (एनसीटीसी) जैसी कई चीजों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। चिदंबरम ने अपनी पुस्तक “स्टैंडिंग गार्ड, वन ईयर इन अपोजिशन” के लॉन्च के अवसर पर ये बातें कहीं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुसंख्यकों का कर्तव्य है। यही बात पाकिस्तान पर भी लागू होती है। अमेरिका में राष्ट्रपति दर राष्ट्रपति और नेता दर नेता ने लोगों को यही संदेश दिया कि अश्वेतों को समान आदर और अवसर देना बहुसंख्यक लोगों का कर्तव्य है। चिदंबरम ने कहा कि कश्मीर में हिंदुओं की रक्षा करना मुस्लिमों का कर्तव्य है। जब हम कश्मीर जाते हैं, हमने कहा है कि गांव में रहने वाले हिंदू पंडितों की रक्षा करना मुसलमानों का दायित्व है।
उनके जवान और तरोताजा दिखने के राज के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि वह रिटायर होने में विश्वास नहीं करते और घंटों काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वह लेखन, भाषण, वकालत, स्वस्थ बहस और नौजवानों से मुलाकात एवं चर्चा का आनंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अगर आप युवा लोगों के साथ अधिक समय बिताएं तो आप जवान हो सकते हैं।
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