विश्वबैंक ने भी माना नोटबंदी का होगा नकारात्मक असर, भारत की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर किया 7 प्रतिशत
विश्वबैंक के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। पहले यह अनुमान 7.6 फीसदी का था।
वाशिंगटन। विश्वबैंक ने नोटबंदी के बाद चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक ग्रोथ रेट के संदर्भ में अपना अनुमान घटा दिया है। हालांकि, विश्वबैंक के अनुसार, अब भी यह सात प्रतिशत के मजबूत स्तर पर रहेगी। पहले का अनुमान 7.6 प्रतिशत था। इसके अलावा, विश्वबैंक ने यह भी कहा है कि आने वाले वर्षों में देश की ग्रोथ रेट अपनी रफ्तार पकड़ लेगी और 7.6 और 7.8 प्रतिशत के स्तर को एक बार फिर प्राप्त कर लेगी।
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नोटबंदी के कारण धीमी हुई इकोनॉमिक ग्रोथ
- विश्वबैंक की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े मूल्य के नोटों को तत्काल चलन से हटाने के सरकार के 8 नवंबर के निर्णय से वर्ष 2016 में इकोनॉमिक ग्रोथ धीमी पड़ी है।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि धीमी पड़ने के बावजूद भारत की ग्रोथ रेट मार्च 2017 को समाप्त होने जा रहे वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत तक रहेगी।
- इसमें कहा गया है कि तेल की कीमतों में कमी और कृषि उत्पाद में ठोस वृद्धि से नोटबंदी की चुनौतियों का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाएगा।
- इस तरह भारत चीन से आगे निकल कर सबसे तीव्र वृद्धि कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
2017-18 में ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी रहने का अनुमान
- विश्वबैंक को उम्मीद है कि वर्ष 2017-18 में गति पकड़ कर भारत की ग्रोथ रेट 7.6 प्रतिशत और 2019-20 में 7.8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
- उसका कहना है कि सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न सुधारों से घरेलू आपूर्ति की अड़चने दूर होंगी और उत्पादकता बढ़ेगी।
- बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ने से कारोबार का वातावरण सुधरेगा और निकट भविष्य में ज्यादा इन्वेस्टमेंट आएगा।
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मेक इन इंडिया अभियान से मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को मिलेगी मदद
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेक इन इंडिया अभियान से देश के मैन्यूफैक्चरिग सेक्टर को मदद मिलेगी।
- इस क्षेत्र को घरेलू मांग और नियमों में सुधार का भी फायदा होगा।
- मंहगाई दर में कमी और सरकारी कर्मचारियों के वेतन मान में सुधार से भी वास्तविक आय और उपभोग के बढने में मदद मिलेगी।
- इसी संदर्भ में अनुकूल वर्षा और बेहतर कृषि उपज का भी उल्लेख किया गया है।
नोटबंदी से ब्याज दर घटाने में मिलेगी मदद
- विश्वबैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी का मध्यावधि में एक फायदा यह है कि बैंकों के पास नकद धन बढने से ब्याज दर में कमी करने और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार में मदद मिलेगी।
- लेकिन देश में अब तक 80 प्रतिशत से ज्यादा कारोबार नकदी में होता रहा है, इसे देखते हुए नोटबंदी के चलते अल्प काल में कारोबारियों और व्यक्तियों की आर्थिक गतिविधियों में व्यवधान बना रह सकता है।