नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सरकारी खरीद में घरेलू स्तर पर बनी यानी स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता देने की एक नीति को अंतिम रूप दे रहा है। इस पहल का उद्देश्य मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नीति को मेक इन इंडिया पहल के अनुसार अंतिम रूप दिया जाएगा। दोनों-वाणिज्य व उद्योग-विभागों ने इस तरह की नीति का समर्थन किया है। अधिकारी ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) के वैश्विक व्यापार नियम सदस्य देशों को सरकारी खरीद के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर बने उत्पादों को प्राथमिकता देने की अनुमति देते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह की नीति अमेरिका सहित अनेक देशों में काम कर रही है। यही कारण है कि अनेक भारतीय दवा कंपनियों को अपना विनिर्माण आधार अमेरिका में स्थापित करना पड़ा है। देशों में सरकारी खरीद लाखों करोड़ रुपए में होती है, इसलिए यह घरेलू कंपनियों को स्थानीय स्तर पर उत्पाद बनाने को प्रोत्साहित करती है। हालांकि वस्तुओं की खरीद का इस्तेमाल कारोबारी उद्देश्य से नहीं किया जा सकता।
सरकारी कार्यालयों में फोन, कम्प्यूटर, एसी, टीवी और स्टेशनरी की आवश्यकता होती है। अधिकारी ने कहा कि इस नई नीति से कीमतें भी किफायती होंगी। मंत्रालय ने पिछले साल उत्पादों और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) को लॉन्च किया था। इसका कदम का उद्देश्य सरकारी खरीद में अधिक पारदर्शिता लाना है। ऐसा अनुमान है कि हर साल 10,000 करोड़ रुपए की सरकारी खरीद होती है।
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