नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में नीरव मोदी द्वारा किए गए 11,300 करोड़ रुपए के घोटाला मामले में केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से जवाब तलब किया है। केंद्र सरकार ने RBI को पत्र लिखकर पूछा है कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों को बैंकों द्वारा लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करने के दौरान किसी भी स्तर पर उसे धोखाधड़ी की भनक लगी थी या नहीं। बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के अंतर्गत बैंकों की जांच, रेगुलेशन, ऑडिट और निगरानी में RBI की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि कुछ दिन पहले ही RBI को पत्र लिखकर पूछा गया है कि यह कथित घोटाला कैसे हुआ और सालों से यह सब किस प्रकार चल रहा था? क्या RBI ने कानून के मुताबिक अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वह किया है।
वित्त मंत्रालय ने अपने पत्र में बैंकिंग रेगुलेशन (बीआर) अधिनियम 1949 की धारा 35, 35ए और 36 का हवाला देते हुए नियामक के तौर पर RBI की शक्तियों और कार्यों का उल्लेख किया है। वित्त मंत्रालय ने RBI से पूछा है कि क्या उसने विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 12 के तहत अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इस मामले में शामिल बैंकों की उसने जांच की है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने RBI से कहा है कि वह अपने मौजूदा नियमों एवं नियमनों की समीक्षा करे ताकि आगे से इस तरह की धोखाधड़ी न हो।
सरकार ने कहा कि आरबीआई को बैंकिंग नियमन की धारा 35 के तहत किसी भी बैंक, उसके खातों की जांच करने का अधिकार है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि RBI किसी भी समय बैंक और उसके खातों की जांच कर सकता है। हमने नियामक से पूछा है कि क्या उसने ऐसा किया है और क्या वह कोई कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।
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