Modi’s UK Visit: ब्रिटिश और भारत की कंपनियों के बीच होंगे 13.7 अरब डॉलर के सौदे, इन छह सेक्टर पर होगा फोकस
यहां ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां भारत को यूके की क्षमता की जरूरत है और पीएम मोदी दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने पर जरूर बल देंगे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय यूके यात्रा के दौरान ब्रिटिश और भारतीयों कंपनियों के बीच 9 अरब पाउंड (13.7 अरब डॉलर) से अधिक मूल्य के कारोबारी सौदों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह बात गुरुवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। कैमरन ने कहा कि पीएम मोदी का विजन बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा के जरिये भारत की सूरत बदला हैं और लंदन इस लक्ष्य को हासिल करने में मोदी की मदद करना चाहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को यूके के लिए रवाना हुए। वे वहां तीन दिन रहेंगे। भारत और यूके दोनों पर बिजनेस डील पर हस्ताक्षर करने का दवाब होगा। दोनों देशों के बीच पुराना संबंध है, बावजूद इसके दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत कम है। यहां ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां भारत को यूके की क्षमता की जरूरत है और इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने पर जरूर बल दिया जाएगा। यहां ऐसे छह क्षेत्र हैं, जहां दोनों देशों के बीच समझौते हो सकते हैं:
रक्षा : यहां ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि इस यात्रा के दौरान बीएई सिस्टम्स भारत के साथ 20 हॉक ट्रेनर एयरक्राफ्ट बिक्री के सौदे पर हस्ताक्षर करेगी। इस सौदे में यह बात शामिल हो सकती है कि इन एयरक्राफ्ट का निर्माण भारत में ही किया जाए। इस सौदे से पीएम मोदी के मेक इन इंडिया को सहारा मिलेगा और इससे भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को भी काफी मदद मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज्यादा जरूरत है।
ऊर्जा: यूके और भारत ने जुलाई 2010 में न्यूक्लियर एनर्जी कोऑपरेशन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन दोनों देशों की लंबी सरकारी प्रक्रिया के कारण यह समझौता अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। पीएम मोदी की इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों की ओर से लालफीताशाही को कम करने के लिए कुद कदमों की घोषणा की जा सकती है।
फाइनेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत को नया निवेश लाने के लिए नए रास्तों की बहुत जरूरत है, विशेषकर पूंजी की कमी से जूझ रहे इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को। उम्मीद की जा रही है कि ब्रिटेन मार्केट ऑफशोर इंडियन-रुपी बांड के जरिये भारत की मदद कर सकता है, जिससे रेलवे के विस्तार और अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए आसान फाइनेंस उपलब्ध होगा। यूके की सबसे बड़ी कंपनी वोडाफोन भारत में बड़े स्तर पर मौजूद है। मोदी की यात्रा के दौरान वोडाफोन भी भारत में अपने अतिरिक्त निवेश की घोषणा भी कर सकती है। इसके अलावा वोडाफोन अन्य यूके कंपनियों के साथ मिलकर पीएम मोदी से टैक्स संबंधी विवादों पर भी बातचीत यहां कर सकती है।
स्किल: भारत में स्किल वर्कर की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। अगले दस सालों तक प्रति महीना भारत को 10 लाख युवा लोगों को अपने वर्कफोर्स में शामिल करना होगा। यदि यह युवा लोग सही ढंग से स्किल्ड नहीं होंगे और उन्हें सही रोजगार नहीं मिलेगा तो 2030 तक भारत का दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सपना साकार होना मुश्किल होगा। प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर्स, रिटेल स्टोर कर्मचारी और टूरिज्म व हॉस्पीटैलिटी जैसे क्षेत्रों में यूके के पास स्किल ट्रेनिंग की बहुत अधिक क्षमता और अनुभव है। ऐसे में पीएम मोदी स्किल ट्रेनिंग के लिए यूके के साथ जरूर कोई समझौता कर सकते हैं।
हाई टेक्नोलॉजी: भारत और यूके के लिए समझौता करने का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, वह है टेक्नोलॉजी, विशेषकर लाइफ साइंस, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर। भारत में कई बड़ी फार्मा कंपनियां हैं, जिनमें से अधिकांश नई दवाओं की खोज और विकास में जुटी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर यूके के पास जीएसके और एस्ट्राजेनेका जैसी बड़ी कंपनियां हैं, जिनकी भारत के बाजार में रुचि है। दोनों देश इस क्षेत्र में भी कोई समझौता कर सकते हैं।
इन्नोवेशन: हेल्थकेयर से एनर्जी, ऑटोमोटिव से एजुकेशन, कम्प्यूटिंग से सॉफ्टवेयर सभी क्षेत्रों में भारत के पास किफायती साल्यूशन उपलब्ध कराने की क्षमता है। यूके, विशेषकर लंदन, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड, फिनटेक (फाइनेंस संबंधी टेक्नोलॉजी), एजुटेक(एजुकेशन संबंधी टेक्नोलॉजी) और मेडिकल डायग्नोस्टिक के क्षेत्र में स्टार्टअप्स के लिए उभरता ग्लोबल हब है। मोदी इस क्षेत्र में यूके की क्षमता और अनुभव का फायदा उठाने के लिए भी कोई न कोई समझौता जरूर करेंगे।
पीएम मोदी की विदेश यात्राओं से देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आया है, अब यूके की यात्रा से भी बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद की जा रही है। हाल ही में ब्रिटेन ने चीन के साथ अरबों डॉलर का एक सौदा किया है, हालांकि भारत के साथ ऐसा कोई सौदा होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन इसके विपरीत भारत के साथ कई छोटे-छोटे महत्वपूर्ण समझौते होने की मजबूत संभावना है। यूके के विदेश सचिव फिलिप हैमोंड ने कहा था कि भारतीय इकोनॉमी बहुत बड़ी और प्राइवेट सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण है, सरकार के सरकार के साथ होने वाले सौदों के बजाये इस यात्रा के दौरान अधिक सौदे कमर्शियल और प्राइवेट सेक्टर के होंगे।