नई दिल्ली। कीटनाशक विनिर्माताओं के संगठन पेस्टीसाइड मैनुफैक्चरर्स एंड फार्मूलेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (पीएमएफएआई) ने शुक्रवार को सरकार से तकनीकी और तैयार कीटनाशकों पर आयात शुल्क में 20-30 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का आग्रह किया, ताकि घरेलू कृषि रसायन उद्योग की रक्षा की जा सके। इस समय तकनीकी और तैयार कीटनाशकों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाता है। पीएमएफएआई के अध्यक्ष प्रदीप दवे ने एक बयान में कहा, ‘‘मौजूदा सीमा शुल्क व्यवस्था में बहुत सी विसंगतियां हैं जो भारत में विनिर्माण की जगह कीटनाशकों के आयात को बढ़ावा देती हैं। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों और आयातकों को अनुचित लाभ होता है और इससे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी क्षति पहुंचती है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को सीमा शुल्क की मौजूदा संरचना में संशोधन करना चाहिए और तैयार कीटनाशकों तथा तकनीकी श्रेणी के उत्पादों के आयात पर क्रमश: 30 प्रतिशत और 20 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाना चाहिए।
पीएमएफएआई 200 से अधिक छोटे, मध्यम और बड़े कीटनाशक विनिर्माताओं और व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करता है। संगठन के मुताबिक फिलहाल इंडस्ट्री में नया निवेश घट रहा है जिससे मैन्युफैक्चरिंग यूज्ड प्रोडक्ट्स के आयात पर निर्भरता बढ़ रही है। कृषि विशेषज्ञों ने हालांकि सरकार को आगाह किया कि वे इस तरह उद्योग की मांगों पर विवेकपूर्वक विचार करे, क्योंकि देश अभी भी कई कीटनाशकों के लिए आयात पर निर्भर है। उनके मुताबिक धान और गन्ने को कई खतरनाक कीटों से बचाने वाले कुछ खास कीटनाशक पूरी तरह से आयात किए जाते हैं। अगर ड्यूटी बढ़ाई गई तो इनकी कीमतों में उछाल देखने को मिलेगा। कीटनाशक कंपनियों के संगठन के मुताबिक फिलहाल भारत में कीटनाशक इंडस्ट्री का आकार 43 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें आयात का हिस्सा 23 हजार करोड़ रुपये और घरेलू कंपनियां का हिस्सा 20 हजार करोड़ रुपये का है।
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