खेतों का घटता आकार देश के लिये चुनौती, छोटे किसानों को आगे बढ़ाने पर ध्यान: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक क्षमता का इस्तेमाल जरूरी है। अब इस मामले में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता है। ‘‘छोटा किसान बने देश की शान’’ इस लक्ष्य के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को छोटे किसानों को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि कृषकों की खेती का घटता आकार एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ छोटे किसानों को दिया जाना चाहिये जिनकी संख्या कुल कृषक समुदाय में 80 प्रतिशत तक है। उन्होंने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुये कहा कि सरकार देश के छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुये निर्णय ले रही है। ‘‘बढ़ती जनसंख्या और परिवारों में बंटवारे के कारण गांवों में जमीन की जोत छोटी होती जा रही है। देश के 80 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। ’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक क्षमता का इस्तेमाल जरूरी है। अब इस मामले में ज्यादा इंतजार नहीं किया जा सकता है। ‘‘छोटा किसान बने देश की शान’’ इस लक्ष्य के साथ हमें आगे बढ़ना होगा। गांव, किसान की जमीन को विवाद का नहीं बल्कि विकास का आधार बनाने पर काम होना चाहिये। मोदी ने कहा, ‘‘ हमारा सपना है कि छोटा किसान देश की शान बने। आने वाले वर्षों में हमें देश के छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को और बढ़ाना होगा, उन्हें नई सुविधाएं देनी होंगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले जो देश में नीतियां बनीं, उनमें इन छोटे किसानों पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिये था, वो नहीं हुआ। लेकिन अब इन्हीं छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिये फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत का डेढ गुणा किया गया है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये, फसल बीमा योजना में सुधार किया गया। कृषि जमीन तक सौर ऊर्जा योजनाओं को पहुंचाया गया और कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाये गये। आने वाले समय में ब्लॉक स्तर पर अनाज के भंडारण के लिये भंडारण सुविधायें खड़ी करने की योजना चलाई जा रही है। किसानों को सशक्त और मजबूत बनाने के लिये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) योजना को लागू किया गया है जिसके तहत अब तक डेढ लाख करोड़ रुपये की राशि 10 करोड़ किसानों के खातों में डाली जा चुकी है। योजना के तहत पात्र किसानों को सालभर में 6,000 रुपये की राशि 2,000 रुपये की तीन समान किश्तों में उपलब्ध कराई जाती है।
इसके अलावा 70 से अधिक मार्गों पर किसान रेल चलाई जा रही हैं। इन रेलों के जरिये कृषि उपज को देश के एक कोने से दूसरे कोने में भेजा जा रहा है। इससे किसानों को सस्ते भाड़े पर उनके उत्पाद उन मंडियों तक पहुंचाये जा रहे हैं जहां उनकी मांग है। इसके तहत काला चावल, हल्दी, मिर्च, लीचीं देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाई जा रही है और उनका निर्यात भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने किसानों के लिये उनकी जमीन के आधार पर बैंकों से कर्ज दिलाने की सुविधा वाली स्वामित्व योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘देश में ड्रोन के जरिये काम हो रहा है, दस्तावेजों को आनलाइन अपलोड किया जा रहा है, इससे बैंकों से आसानी से कर्ज मिल रहा है और गांव की जमीन विवाद का नहीं विकास का आधार बन रही है।’’ मोदी ने कहा कि कोविड- 19 महामारी के दौरान हर किसी ने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी की ताकत को देखा है। वैज्ञानिक हर क्षेत्र में बेहतरी के लिये काम कर रहे हैं। यह काम कृषि क्षेत्र में भी होना चाहिये। ‘‘वैज्ञानिकों के सुझाव और प्रयासों को इसमें शामिल किया जाना चाहिये, हम और प्रतीक्षा नहीं कर सकते हैं। हमें इसका पूरा लाभ उठाना चाहिये।’’ उन्होंने कहा कि इससे न केवल देश की खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि फल, सब्जियों और अनाज का उत्पादन भी बढ़ेगा। इससे हमें कृषि क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मजबूती के साथ आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी।
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