नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास को गति देने के इरादे से राज्यों से पिछड़े जिलों की तर्ज पर 20 प्रतिशत प्रखंडों को चिह्नित करने और उन्हें आगे बढ़ाने पर विचार करने को कहा है। नीति आयोग की चौथी संचालन परिषद बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा चिह्नित 115 पिछड़े जिलों की तर्ज पर, राज्य विकास की रफ्तार से पीछे छूटे प्रखंड की पहचान करें। उन्होंने कहा कि राज्य कुल प्रखंडों में पिछड़े 20 प्रतिशत को चिह्नित करने के लिए अपने खुद के मानकों को निर्धारित कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने विकास को रफ्तार देने के लिये विभिन्न राज्यों में 115 पिछड़े जिलों की पहचान की है। इस योजना का मकसद इन पिछड़े जिलों में तेजी और प्रभावी तरीके से बदलाव लाना है।
उन्होंने 15 अगस्त 2018 तक 115 आकांक्षापूर्ण जिलों के 45,000 अतिरिक्त गांवों तक सात प्रमुख योजनाओं - सौभाग्य, जनधन, उजाला, उज्ज्वला, इंद्रधनुष, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना - उपलब्ध कराने के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
मोदी ने कहा कि ग्राम स्वराज्य अभियान कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये एक नया मॉडल के रूप में उभरा है। अबतक करीब 17,000 गांवों में लक्ष्य पूरा किया जा चुका है और इसे अब 45,000 गांवों तक पहुंचाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्रियों की तरफ से उठाए गए पर्यावरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों से उनके सरकारी भवनों, कार्यालयों, निवासों एवं स्ट्रीटलाइटों में एलईडी बल्ब का उपयोग करने का आग्रह किया।
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