11000 करोड़ की लागत से देश में बढ़ाया जाएगा खाद्य तेल उत्पादन, पूर्वोत्तर और अंडमान में होगी पाम की खेती
आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप 10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं।
नई दिल्ली। देश को खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार आने वाले दिनों में कई बड़े कदम उठा सकती है। किसान सम्मान निधी की 9वीं किस्त जारी करने के बाद किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार आने वाले दिनों में देश को खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाने जा रही है और इसके लिए 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिस तरह से देश गेहूं और चावल के मामले में आत्मनिर्भर बना है उसी तरह से खाने के तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य हमने तय किया है।
किसानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सिर्फ गेहूं, चावल और चीनी में ही आत्मनिर्भरता काफी नहीं है, बल्कि दाल और तेल में भी आत्मनिर्भरता आवश्यक है और भारत के किसान यह करके दिखा सकते हैं। कुछ साल पहले जब देश में दालों की बहुत कमी हो गई थी तो मैने देश के किसानों से दाल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था, मेरे उस आग्रह को देश के किसानों ने स्वीकार किया, परिणाम यह हुआ कि बीते 6 साल में देश में दाल उत्पादन में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जो काम हमने दलहन में किया या अतीत में गेहूं और धान को लेकर किया अब वही संकल्प खाने के तेल के उत्पादन के लिए भी लेना है। खाद्य तेल में हमारा देश आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमें तेजी से काम करना है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के लिए अब राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन ऑयल पाम का संकल्प लिया गया है। इस मिशन के माध्यम से खाने के तेल से जुड़े ईको सिस्टम पर 11000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उत्तम बीज से लेकर टेक्नोलॉजी की हर सुविधा मिले, इस मिशन के तहत ऑयल पाम की खेती को प्रोत्साहन देने के साथ हमारी जो अन्य पारंपारिक तिलहन फसले हैं उसकी खेती को भी विस्तार दिया जाएगा।"
आज भारत कृषि निर्यात के मामले में पहली बार दुनिया के टॉप 10 देशों में पहुंचा है। कोरोना काल में ही देश ने कृषि निर्यात के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आज जब भारत की पहचान एक बड़े कृषि निर्यातक देश की बन रही है तब हम खाद्य तेल की जरूरत के लिए आयत पर निर्भर रहें यह उचित नहीं है। इसमें भी आयातित पाम ऑयल का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है, इस स्थिति को हमें बदलना है। खाने का तेल खरीदने के लिए हमें जो हजारों करोड़ रुपये विदेश में दूसरों को देना पड़ता है वह देश के किसानों को ही मिलना चाहिए। भारत में पाम ऑयल खेती के लिए हर जरूरी संभावनाएं है, उत्तर पूर्व और अंडमान दीप समूह में विशेष रूप से इसे बढ़ाया जा सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहां आसानी से पाम की खेती हो सकती है और पाम ऑयल का उत्पादन हो सकता है। खाने के तेल में आत्मनिर्भरता के इस मिशन के अनेक लाभ हैं। इससे किसानों को तो सीधा लाभ होगा ही साथ में गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को सस्ता औरअच्छी क्वॉलिटी का तेल भी मिलेगा।"
गौरतलब है कि देश को खाने के तेल की जरूरत को पूरा करने के विदेशों से आयात होने वाले तेल पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत को अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत से ज्यादा खाने का तेल आयात करना पड़ता है और हर साल लगभग 150 लाख टन खाने के तेल आयात होता है। कुल आयात होने वाले खाने के तेल में लगभग 55-60 प्रतिशत हिस्सेदारी पाम ऑयल की होती है।
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