पीएचडी चैंबर ने तीन स्तरीय जीएसटी ढांचे की वकालत की, उच्चतम दर 18% रखने की मांग
जीएसटी के तहत फिलहाल चार दरों वाली संरचना है। इसके तहत आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी से छूट है जबकि कुछ सामानों पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। वहीं उच्चतम दर 28 प्रतिशत है।
नई दिल्ली। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने खपत को बढ़ावा देने और कर चोरी पर लगाम लगाने के लिये बुधवार को 18 प्रतिशत उच्च दर के साथ जीएसटी शुल्क ढांचा तीन स्तरीय करने की मांग की। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत फिलहाल चार दरों वाली संरचना है। इसके तहत आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी से छूट है जबकि कुछ सामानों पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। वहीं उच्चतम दर 28 प्रतिशत है। कर के अन्य स्लैब 12 और 18 प्रतिशत हैं। इसके अलावा, सोना, चांदी और तराशे गये हीरे पर तीन प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है।
2 से 3 टैक्स स्लैब की मांग
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि एक आदर्श जीएसटी ढांचे में दो से तीन स्लैब होने चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा सुझाव है कि पांच प्रतिशत की न्यूनतम दर, 12 प्रतिशत की मध्यम दर, 12 और 18 प्रतिशत की श्रेणी को मिलाकर तथा केवल विलासिता और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं के लिए उच्चतम दर 18 प्रतिशत जीएसटी होना चाहिए।’’ उद्योग मंडल ने कहा कि दरों को युक्तिसंगत बनाने से खपत और कर राजस्व में वृद्धि होगी, अनुपालन बोझ कम होगा, कर चोरी कम होगी तथा जीएसटी को अच्छा एवं सरल कर बनाने में मदद मिलेगी। कर मामलों से संबंधित मुकदमेबाजी को कम करने के लिए एक सरल कर व्यवस्था समय की जरूरत है।
जीएसटी व्यवस्था में खामियां, काफी कर चोरी हो रही: केरल वित्त मंत्री
वहीं केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने जीएसटी ढांचे में व्यवस्थागत बदलाव की मांग करते हुए कहा कि हर राज्य और उपभोक्ता को इसकी मूल रूप से त्रुटिपूर्ण संरचना के कारण नुकसान हुआ है। साथ ही इसकी वजह से राज्यों के लिए राजस्व के मोर्चे पर घाटा हुआ है। माल और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था जुलाई 2017 में लागू हुई थी। हालांकि यह संरचना एक राष्ट्र-एक-कर मॉडल पर केंद्रित है, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों और शराब सहित कुछ चीजें अब भी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। बालगोपाल ने कहा, "माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के चार वर्षों में हमारे अपने कर राजस्व में 61 प्रतिशत की भारी गिरावट हुई है, क्योंकि संरचना और जीएसटी का डिजाइन दोनों ही व्यवस्थित रूप से त्रुटिपूर्ण हैं। इससे कर चोरी के लिए पर्याप्त जगह बन गयी है। और जहां तक मैं जानता हूं, यह सिर्फ केरल के लिए नहीं बल्कि सभी राज्यों के लिए है।" मई में पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली माकपा सरकार के सत्ता में लौटने पर पदभार ग्रहण करने वाले बालगोपाल ने यह भी कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद केरल के कुल राजस्व में एक तिहाई की गिरावट आयी है। उन्होंने चार साल पुरानी इस कर व्यवस्था में कुछ आमूल-चूल परिवर्तन करने का आह्वान किया है।