नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ऐसे छोटे हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों में दूसरे दौर की नीलामी पेशकश करेंगे जिनमें तेल एवं गैस की खोज की जा चुकी है। ऐसे कुल 26 क्षेत्रों को नीलामी के लिए पेश किया जाएगा। एक आधिकारिक बयान में यह कहा गया है। खोजे गए इन छोटे फील्ड के लिए पिछले साल पहले दौर की नीलामी में रखे गए कुल 46 ब्लाक में से 34 ब्लाक के लिए 134 बोलियां प्राप्त हुई थी। बयान के मुताबिक कुल 30 अनुबंध 20 कंपनियों को दिए गए। इसमें से खोज एवं उत्पादन क्षेत्र में 13 नई कंपनियां थी। इन फील्डों से तेल/गैस 2019-20 में आने की उम्मीद है।
बयान के अनुसार, पहले दौर की सफलता से उत्साहित सरकार और उद्योग खासकर निजी क्षेत्र की अच्छी भागीदारी को देखते हुए सरकार अब दूसरे चरण में ऐसे पहले से खोज किए गए छोटे फील्ड (डीएसएफ) के लिये बोलियां आमंत्रित करने जा रही है। इसके तहत वाणिज्यिक रूप से उत्पादक बेसिन में बड़े क्षेत्र की पेशकश की जा रही है।
कुल 60 खोज को 26 अनुबंध क्षेत्रों में रखा गया गया है। ये 3,100 वर्ग किलोमीटर और आठ अवसादी बेसिन क्षेत्रों में फैले है। ये क्षेत्र राजस्थान, गुजरात, कच्छ और कैम्बे के उथले जल क्षेत्र, मुंबई अपतटीय, असम और त्रिपुरा तथा महानदी उथले जल क्षेत्र, आंध्र प्रदेश तथा केजी बेसिन में स्थित है।
बयान के अनुसार डीएसएफ-दो में परंपरागत और गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन के लिए एकल लाइसेंस, तकनीकी अनुभव की पूर्व शर्त को हटाना, पूर्ण कीमत तथा मार्केटिंग की आजादी जैसी मुख्य विशेषताएं हैं। साथ डीएसएफ-1 के मुकाबले उथले जल क्षेत्र के लिए रॉयल्टी दर में कमी की गयी है।
सरकार 2016 में नई डीएसएफ पालिसी लाई थी। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) तथा ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) के निष्क्रिय पड़े छोटे खोजे गए फील्डों की नीलामी उदार शर्तों पर की जा रही हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी में दूसरे दौर की डीएसएफ नीलामी को मंजूरी दी थी।
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